• आत्महत्या रोकथाम दिवस पर सरदार पटेल बालिका इण्टर कॉलेज में गोष्ठी
  • देश में 15 से 29 साल के युवाओं में आत्महत्या के सर्वाधिक मामले

हमीरपुर ब्यूरो
स्थानीय सरदार पटेल बालिका इण्टर कॉलेज में शुक्रवार को ‘आत्महत्या रोकथाम दिवस’ पर गोष्ठी आयोजित की गई। इस मौके पर स्वास्थ्य विभाग की टीम ने छात्र जीवन में आने-वाले उतार-चढ़ाव और उसके बाद उत्पन्न होने वाले हालातों से छात्र-छात्राओं को रूबरू कराते हुए उन्हें भविष्य में कभी भी ऐसे आत्मघाती कदम न उठाने की सलाह दी। सकारात्मक विचारों के साथ आगे बढ़ने की नसीहत दी।

जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत आयोजित हुए इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ.एके रावत ने कहा कि छात्र जीवन संघर्षों से भरा होता है। कई बार छात्र जीवन में ऐसी स्थितियां उत्पन्न होती हैं कि निराशा हाथ लगती है और ऐसी अवस्था में बहुत से युवा जीवन को समाप्त कर लेते हैं। कभी भी जीवन में अगर ऐसा समय आता भी है तो उसका डटकर मुकाबला करें। जीवन यूं बर्बाद करने के लिए नहीं मिला है। उन्होंने छात्रों से मोबाइल का कम से कम प्रयोग करने और सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ने की अपील की। कभी कोई समस्या आती है तो अपने अभिभावक और शिक्षकों से उसका समाधान निकलवाएं।
कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ.महेशचंद्रा ने कहा कि कि युवावस्था बहुत ही संवेदनशील अवस्था होती है। शोध के अनुसार देश में आत्महत्या के मामलों में सर्वाधिक संख्या 15 से 29 साल के युवा वर्ग की होती है। उन्होंने कहा कि इसका सबसे बड़ा कारण डिप्रेशन होता है। अभी जो समय चल रहा है, उसमें 10 में से 8 लोग डिप्रेशन के शिकार हो रहे हैं। जब बहुत लोग परेशान होते हैं तो वह अपने मन की बात किसी को बताते नहीं है और चेहरे पर हमेशा मुस्कान बनाए रखते हैं। इसके अलावा एकाकीपन भी आत्महत्या का बड़ा कारण है।

जिला अस्पताल की साइको थेरिपिस्ट डॉ.नीता ने विभिन्न मानसिक विकारों एवं उसके इलाज के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि युवावस्था में होने वाले शारीरिक और मानसिक परिवर्तनों की वजह से बच्चे अलग दिशा में मुड़ जाते हैं। इसके लिए अभिभावकों को बच्चों के साथ दोस्ताना माहौल रखना होगा। एसीएमओ डॉ.पीके सिंह ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम में कॉलेज के छात्र-छात्राएं और स्टाफ मौजूद रहा।