नई दिल्ली: प्रवासी मज़दूरों के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि मजदूरों से ट्रेन या बस का कोई किराया न लिया जाए, राज्य सरकार किराया दे। इसके साथ ही यह भी कहा गया कि जो जहां फंसा है उसे वहां की राज्य सरकार भोजन दे। उन तक जानकारी पहुंचाई जाए कि मदद कहां उपलब्ध है।’

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि प्रवासी श्रमिकों से ट्रेन या बस का कोई किराया नहीं लिया जाएगा। अदालत ने कहा कि विभिन्न स्थानों पर फंसे हुए सभी प्रवासी कामगारों को संबंधित राज्य और केन्द्र शासित प्रदेशों द्वारा उन स्थानों पर भोजन उपलब्ध कराया जाएगा। इसके अलावा मजदूरों को ट्रेन या बसों में चढ़ने का समय भी बताया जाएगा।

साथ ही कोर्ट ने राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों से कहा फंसे हुए प्रवासी मजदूरों को भोजन उपलब्ध कराने के लिए जगह और अवधि को प्रचारित करें।

न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता से विभिन्न जगहों पर फंसे हुए इन श्रमिकों की यात्रा के किराये के भुगतान को लेकर व्याप्त भ्रम के बारे में जानकारी चाही। पीठ ने कहा कि इन श्रमिकों को अपनी घर वापसी की यात्रा के लिये किराये का भुगतान करने के लिये नहीं कहना चाहिए।

पीठ ने मेहता से सवाल किया, ‘‘सामान्य समय क्या है? यदि एक प्रवासी की पहचान होती है तो यह तो निश्चित होना चाहिए कि उसे एक सप्ताह के भीतर या दस दिन के अंदर पहुंचा दिया जायेगा? वह समय क्या है? ऐसे भी उदाहरण हैं जब एक राज्य प्रवासियों को भेजती है लेकिन दूसरे राज्य की सीमा पर उनसे कहा जाता है कि हम प्रवासियों को नहीं लेंगे, हमें इस बारे में एक नीति की आवश्यकता है।’’

पीठ ने इन कामगारों की यात्रा के भाड़े के बारे में सवाल किये और कहा, ‘‘हमारे देश में बिचौलिया हमेशा ही रहता है। लेकिन हम नहीं चाहते कि जब भाड़े के भुगतान का सवाल हो तो इसमें बिचौलिया हो। इस बारे में एक स्पष्ट नीति होनी चाहिए कि उनकी यात्रा का खर्च कौन वहन करेगा।’’ इससे पहले, सुनवाई शुरू होते ही सॉलिसीटर जनरल ने केन्द्र की प्रारंभिक रिपोर्ट पेश की और कहा कि एक से 27 मई के दौरान इन कामगारों को ले जाने के लिये कुल 3,700 विशेष ट्रेन चलायी गयी और सीमावर्ती राज्यों में अनेक कामगारों को सड़क मार्ग से पहुंचाया गया। उन्होंने कहा कि बुधवार तक करीब 91 लाख प्रवासी कामगारों को उनके पैतृक घरों तक पहुंचाया गया है।