लखनऊ:
भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माले) ‘हरिद्वार धर्मसंसद’ के आरोपियों को भाजपा सरकार के संरक्षण के खिलाफ उत्तर प्रदेश में एक जनवरी को राज्यव्यापी प्रतिवाद करेगी। पार्टी ने धर्मसंसद में मुस्लिम अल्पसंख्यकों के नरसंहार का आह्वान करने वालों को गिरफ्तार कर कड़ी सजा देने और लोकतंत्र को क्षति पहुंचाने वाले धर्मसंसदों के आयोजन पर रोक लगाने की मांग की है।

राज्य सचिव सुधाकर यादव ने गुरुवार को जारी बयान में कहा कि विगत 17-19 दिसंबर को हरिद्वार में आयोजित तथाकथित धर्मसंसद के माध्यम से, नाजी जर्मनी में यहूदियों के कत्लेआम की हिटलरी योजना (फाइनल सल्यूशन) की तर्ज पर, भारत के मुस्लिम अल्पसंख्यकों के खिलाफ हथियार उठाने और उनका नरसंहार करने का खुला आह्वान किया गया।

ऐसा करने वाले असल आरोपियों, जिनमें यति नरसिंहानंद (अध्यक्ष, जूना अखाड़ा) भी शामिल हैं, को अभी तक नामजद भी नहीं किया गया है, गिरफ्तारी की बात तो दूर है। अब धर्मसंसद के आयोजकों ने अलीगढ़ समेत देशभर में ऐसे आयोजनों का ऐलान किया है।

माले नेता ने कहा कि हिंदू धर्म के नाम पर लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता और संविधान को तहस-नहस करने वाली इस तरह की आतंकवादी कार्रवाइयों को कतई इजाजत नहीं दी जानी चाहिए।

उन्होंने कहा कि यूपी समेत पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के मौके पर किये जा रहे इन आयोजनों को भाजपा और उसकी सरकारों का संरक्षण प्राप्त है। यह भाजपा को चुनावी लाभ पहुंचाने और ज्वलंत मुद्दों पर उसकी विफलताओं से ध्यान भटकाने के लिए संघ (आरएसएस) का एजेंडा है, जो देश के सामने बड़ा खतरा है।

माले राज्य सचिव ने केंद्रीय चुनाव आयोग से भी इसका संज्ञान लेने की अपील की।

कामरेड सुधाकर ने कहा कि नए साल के पहले दिन माले कार्यकर्ता लोकतंत्र को बचाने के संकल्प के साथ प्रतिवाद कार्यक्रम के माध्यम से राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन प्रशासन को सौपेंगे।