टीम इंस्टेंटखबर
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को कहा कि धर्म संसद के आयोजनों में दिए गए कथित अपमानजक बयान हिंदू विचारधारा का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं.

धर्म संसद के आयोजनों में कही गई बातों पर निशाना जताते हुए भागवत ने कहा कि धर्म संसद की घटनाओं में जो कुछ भी निकला, वो हिंदू शब्द, हिंदू कर्म या हिंदू दिमाग नहीं था. आरएसएस प्रमुख ने ये बयान नागपुर में एक अखबार के स्वर्ण जयंती समारोह की अवस पर हिंदू धर्म और राष्ट्रीय एकत के व्याख्यान को संबोधित करते हुए दिए.

भागवत ने कहा कि हिंदुत्व एक वाद नहीं है, हिंदुत्व का अंग्रेजी अनुवाद हिंदूनेस है. आरएसएस प्रमुख ने कहा कि इसका उल्लेख सबसे पहले गुरु नानक देव ने किया था. इसका उल्लेख रामायण, महाभारत में नहीं है.

उन्होंने आगे कहा कि हिंदू का मतलब एक सीमित चीज नहीं, ये गतिशील है और अनुभव के साथ लगातार बदलता रहता है. उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत लाभ या दुश्मनी को देखते हुए दिए गए बयान हिंदुत्व का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं.

अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ हिंसा भड़काने वाले भड़काऊ भाषण 17 से 19 दिसंबर 2021 के बीच हरिद्वार में यति नरसिंहानंद और दिल्ली हिंदू युवा वाहिनी द्वारा दिए गए थे. 26 दिसंबर को छत्तीसगढ़ के रायपुर में आयोजित इस तरह के अन्य कार्यक्रम ने भी एक विवाद को जन्म दिया था. जब हिंदू धर्मगुरु कालीचरण महाराज ने कथित तौर पर महात्मा गांधी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की और अलसंख्यकों के खिलाफ भड़ाकाऊ बयान दिया. विवादित बयान देने के आरोप में यति नरसिंहानंद और कालीचरण महाराज दोनों की गिरफ्तारी हो चुकी है.