मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस कर देशभर में SIR की घोषणा की. इस दौरान मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि 12 राज्यों में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण का दूसरा चरण शुरू किया जा रहा है. इस चरण में मतदाता सूची के अपडेशन, नए वोटरों के नाम जोड़ने और त्रुटियों को सुधारने का काम किया जाएगा.

दूसरे चरण में चुनाव आयोग 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में SIR करा रहा है. इन 12 राज्यों में अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, गोवा, पुडुचेरी, छत्तीसगढ़, गुजरात, केरल, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और लक्षद्वीप शामिल हैं.

CEC ज्ञानेश कुमार ने कहा कि इस अभ्यास के दौरान बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) प्रत्येक मतदाता के घर कम से कम तीन बार दौरा करेंगे, ताकि नए मतदाताओं को सूची में जोड़ा जा सके और किसी भी गलती को सुधारा जा सके. ज्ञानेश कुमार ने कहा, ‘BLO घर-घर जाकर Form-6 और Declaration Form एकत्र करेंगे, नए मतदाताओं को फॉर्म भरने में मदद करेंगे और उन्हें ERO (Electoral Registration Officer) या AERO (Assistant ERO) को सौंपेंगे.’

मुख्य चुनाव आयुक्त ने बताया कि फेज-2 की ट्रेनिंग मंगलवार से शुरू होगी. साथ ही सभी मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEOs) और जिला निर्वाचन अधिकारी (DEOs) को निर्देश दिया गया है कि वे अगले दो दिनों के भीतर राजनीतिक दलों से मिलकर SIR प्रक्रिया की जानकारी दें.

उन्होंने बताया कि आयोग ने यह भी निर्देश दिया है कि मतदाताओं- खासकर बुजुर्गों, बीमार, दिव्यांग (PwD), गरीब और कमजोर वर्गों को किसी तरह की परेशानी न हो, इसके लिए लोगों की तैनाती की जाएगी ताकि उन्हें अधिकतम सहायता मिल सके

ज्ञानेश कुमार ने यह भी स्पष्ट किया कि किसी भी मतदान केंद्र (polling station) में 1200 से ज्यादा मतदाता नहीं होंगे. मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि इस चरण में जिन राज्यों में SIR होगा, वहां मतदाता सूची आज रात फ्रीज कर दी जाएगी.

उन्होंने कहा कि घर-घर जाकर गणना का चरण 4 नवंबर, 2025 से 4 दिसंबर, 2025 के बीच चलेगा। मसौदा मतदाता सूची 9 दिसंबर, 2025 को प्रकाशित की जाएगी, जबकि अंतिम मतदाता सूची 7 फरवरी, 2026 को प्रकाशित की जाएगी।

इससे पहले, उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग ने बिहार एसआईआर प्रक्रिया के बाद 36 राज्य चुनाव आयुक्तों के साथ विचार-विमर्श किया।

तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, केरल, असम और पुडुचेरी में अगले साल चुनाव होने हैं। गौरतलब है कि असम में एसआईआर नहीं होगा, जहाँ अगले साल विधानसभा चुनाव भी होने हैं। कुमार ने कहा कि असम में मतदाता सूची के संशोधन की घोषणा अलग से की जाएगी, क्योंकि राज्य में कानून के तहत नागरिकता के लिए अलग प्रावधान हैं और सर्वोच्च न्यायालय की निगरानी में वैध नागरिकों की पहचान के लिए सत्यापन अभियान पहले ही चलाया जा चुका है।

कुमार ने कहा कि जिन 12 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में एसआईआर किया जाएगा, उनकी मतदाता सूची आज रात 12 बजे फ्रीज कर दी जाएगी।

कुमार ने कहा, “उस सूची में शामिल सभी मतदाताओं को बीएलओ द्वारा विशिष्ट गणना प्रपत्र दिए जाएँगे। इन गणना प्रपत्रों में वर्तमान मतदाता सूची के सभी आवश्यक विवरण होंगे। बीएलओ द्वारा मौजूदा मतदाताओं को प्रपत्र वितरित करने के बाद, जिन लोगों के नाम गणना प्रपत्रों में हैं, वे यह मिलान करने का प्रयास करेंगे कि क्या उनका नाम 2003 की मतदाता सूची में था। यदि हाँ, तो उन्हें कोई अतिरिक्त दस्तावेज़ जमा करने की आवश्यकता नहीं है। यदि उनका नाम नहीं, बल्कि उनके माता-पिता का नाम सूची में था, तो भी उन्हें कोई अतिरिक्त दस्तावेज़ जमा करने की आवश्यकता नहीं है… 2002 से 2004 तक की एसआईआर की मतदाता सूची http://voters.eci.gov.in पर कोई भी देख सकेगा और वे स्वयं मिलान कर सकेंगे।”

इससे पहले, 6 अक्टूबर को, मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने घोषणा की थी कि देश भर में मतदाता सूचियों का पुनरीक्षण किया जाएगा।

यह घोषणा चुनाव आयोग द्वारा दो चरणों में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण के तुरंत बाद की गई है।

राज्य के मतदाता सूची रजिस्टर में बड़ी विसंगतियों के दावों के बाद यह कार्रवाई की गई।

एसआईआर प्रक्रिया में लगभग 65 लाख मतदाताओं के नाम हटाए गए, और कुछ नाम जोड़े गए, जिससे लगभग 80 लाख पात्र मतदाता सूची से बाहर हो गए और संदिग्ध डुप्लिकेट और फर्जी पते वाली प्रविष्टियों में भारी वृद्धि हुई।

इस प्रक्रिया के कारण विपक्षी दलों की ओर से कड़ी राजनीतिक प्रतिक्रिया हुई, जिन्होंने चुनाव आयोग पर चुनाव से पहले मतदाता सूची में हेरफेर करने के लिए सरकार के इशारे पर काम करने का आरोप लगाया।

एसआईआर चुनाव आयोग द्वारा संचालित एक व्यापक मतदाता सूची अद्यतन गतिविधि है, जिसमें एक नई और सटीक मतदाता सूची तैयार करने के लिए घर-घर जाकर सत्यापन किया जाता है। इस प्रक्रिया का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि केवल पात्र नागरिकों को ही शामिल किया जाए और सभी डुप्लिकेट, मृत और अपात्र नामों को सूची से हटा दिया जाए।

इसे “विशेष” इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह नियमित कार्यक्रम से हटकर (अक्सर बड़े चुनावों से पहले) आयोजित किया जाता है और इसे “गहन” इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसमें घर-घर जाकर सत्यापन, क्षेत्रीय जाँच और कई अभिलेखों का परस्पर संदर्भ शामिल होता है।