नई दिल्ली: नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली बॉर्डर पर जारी किसान संगठनों के आंदोलन को आज 7 महीने पूरे हो गए. इस बीच उत्तर प्रदेश के चुनाव को देखते हुए किसानों के तेवर फिर तीखे हो रहे हैं। किसानों के इन तीखे तेवरों को देखते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शनिवार को इन संगठनों से आंदोलन खत्म करने की अपील की और कहा कि सरकार तीनों कानूनों के प्रावधानों पर बातचीत फिर से शुरू करने को तैयार है.

ग़ौरतलब है कि सरकार और किसान संगठनों के बीच इससे पहले 11 दौर की बातचीत हो चुकी है, जिसमें कोई सहमति नहीं बनी. आखिरी बैठक 22 जनवरी को हुई थी. किसानों की 26 जनवरी को हिंसक ट्रैक्टर रैली के बाद कोई बातचीत नहीं हुई.

कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने ट्वीट किया, “मैं आपके (मीडिया) माध्यम से बताना चाहता हूं कि किसानों को अपना आंदोलन समाप्त करना चाहिए. देश भर में कई लोग इन नए कानूनों के पक्ष में हैं. फिर भी, कुछ किसानों को कानूनों के प्रावधानों के साथ कुछ समस्या है, भारत सरकार उसे सुनने और उनके साथ चर्चा करने के लिए तैयार है.” उन्होंने कहा कि सरकार ने विरोध कर रहे किसान संगठनों के साथ 11 दौर की बातचीत की. सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) बढ़ा दिया है और एमएसपी पर अधिक मात्रा में खरीद कर रही है.

किसानों का विरोध पिछले साल 26 नवंबर को शुरू हुआ था और अब कोरोना वायरस महामारी के बावजूद 7 महीने पूरे कर चुका है. तोमर और खाद्य मंत्री पीयूष गोयल समेत तीन केंद्रीय मंत्रियों ने प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों के साथ 11 दौर की बातचीत की है. पिछली बैठक 22 जनवरी को हुई थी जिसमें, 41 किसान समूहों के साथ सरकार की बातचीत में गतिरोध पैदा हुआ क्योंकि किसान संगठनों ने कानूनों को निलंबित रखने के केंद्र के प्रस्ताव को पूरी तरह से खारिज कर दिया.

केंद्र सरकार ने 20 जनवरी को हुई 10वें दौर की बातचीत के दौरान इन कानूनों को एक से डेढ़ साल के लिए कानूनों को निलंबित रखने और समाधान खोजने के लिए एक संयुक्त समिति बनाने की पेशकश की थी, जिसके बदले में सरकार की अपेक्षा थी कि विरोध करने वाले किसान दिल्ली की सीमाओं से अपने घरों को वापस लौट जाएं.