मो. आरिफ़ नगरामी

कोरोना वायरस के इस पुरआशोंब दौर में सऊदी हुकूमत ने मुसलसल दूसरे साल गैरमुल्कियों को इस्लाम के अहेम रूक्न हज की सआदत हासिल न करने का जो दानिशमन्दाना और काबिले तहसीन फैसला किया है इसका दुनिया भर के मुसलमानों और खासकर इस्लामी मुमालिक ने जबर्दस्त खैरमकदम किया है। ओर सऊदी फैसले को काबिले तहसीन कदम बताया है। वहीं दूसरी तरफ सऊदी अरब के बादशाह शाह सलमान बिन अब्दुल अजीज ओर वहां के वली अहेद प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने कोरोना वायरस की वजह से गैरमुल्की आजमीने हज को हज बैतु ल्लाह की सआदत हासिल न करने पर अफसोस का इजहार करते हुये कहा है कि आजमीने हज की सलामती हमारी अव्वलीन तरजीह है ओर इन्सानी जानों की हिफजत और तहुफजे इस्लामी शरीअत के बुनयादी वसूलों में आता है। सऊदी हुकूमत के मुताबिक मशायेरे मुकद्दसा में लाखों के इजतेमा में सलामती के वसूलों को एहतेराम करना इन्तेहाई मुशकिल काम है। सऊदी हुक्काम का कहना है कि ममलकते सऊदी अरब के बानी अब्दुल अजीज से लेकर आज तक तमाम हुक्मरानों ने अमली तौर पर अल्लाह तआला के मेहमानों की मेजबानी के फराएज नेहायत आला और शान्दार तौर से अदा किये है।जिसके गवाह सारी दुनिया के वह मुसलमान है। जिन्होंने मक्का मुकर्रमा आ कर हज करने की सआदत हासिल की है। वाजे रहे कि वह 2019 में जब कोरोना की वेबा नमूदार नहंी हुयी थी दुनिया भर से 35 लाख फरजन्दाने तौहीद ने फरीजये हज अदा किया था। ताहम अगले साल ही कोरोना की तेजी के साथ फैलती वेबा को देखते हुये आजमीने हज की तादाद 1000 मकामी शहरियों तक महदूद करनी पडी थी। ओर अब इसी साल दुनिया को कोरोना के चार अकसाम का सामना है और देखा जाये तो यह पहले से ज्यादा खतरनाक ओर हस्सास सूरते हाल है। इस लिये सऊदी हुकमत ने एक बार फिर हज को महदूद रखते हुये सऊदी शहरियों और सऊदी अरब में मुकीम मुसलमानों को ही हज की सआदत हासिल करने की इजाजत दी है। इस बार कुल 60 हजार अफराद ही हज का फरीजा अदा कर सकेंगेें। अशहरे हज यानी हज के अय्याम शुरू हो गये है। शव्वाल का पूरा महीना मुकम्मल हो कर ज़ीकादा का महीना शुरू हो गया है। मगर इस साल दुनिया के कोने कोने से लाखों आजमीने हज हज का तराना यानी लब्बैक पढते हुये मक्का मुकर्रमा नहंी पहुंचेगें। लाखों हुज्जाजे केराम इस्लाम के पांचवे अहम रूक्न की अदायगी के लिये दुनियावी जाहिरी जेब व जीनत को छोड कर अल्लाह तआला के साथ वालिहाना मोहोब्बत मेें मशायरे मुकद्दसा यानी मिना, अरफात और मुजदल्फा पहंर जा सकेंगें। हज को आशिकाना एबादत कहा जाता है। क्योंकि हाजी के हर अमल से वारफतगी और दीवानगी टपकती है। हज इस लेहाज से बडी नुमायां एबादत है। कि यह बयकवक्त रूहानी, माली और बदनी तीनों पहलुओं पर मुशतमिल है। यह खुसूसियत किसी दूसरी एबादत को हासिल नहीं है। र्कुआन व हदीस में इस्लाम के पांचवे रूक्न हज की खास अहमियत बयान की गयी है। चुनांचे एक मकाम पर रसूल करीम सल0 ने फरमाया है कि जिस शख्स ने महज अल्लाह की खुशनवीदी और जा के लिये हज किया, और हज कोई बेहूदा बात बागुनाह नहंी किया तो वह पाक होकर ऐसा लौटता है कि जैसे मां के पेट से पैदा होने के रोज से पाक था
तो हज की अदायगी के लिये मक्का मुकर्रमा आने वाले अल्लाह के मेहमानों की रिहाईश, केयाम व तआम के लिये भी सऊदी हुकूमत ने निहायत आला व अरफा इन्तेजाम किये है। अल्लाह तआला के मेहमेनों को ज्यादा से ज्यादा सहूलतें फराहम कराने के इरादे से सऊदी हुकूमत मुसलसल तरक्कियाती काम कराने और इन्फ्रा इस्ट्रक्चर को मजीद बेहतर बनाने मेें मसरूफ है। सऊदी हुक्मरानों का कहना है कि हम मुस्कुराहट के साथ अल्लाह तआला के मेहमानों का तहे दिल से इस्तबकाल करते ह और हमंें इस बात का एजाज हासिल है कि अल्लाह तआला के मेहमानेां की खिदमत करने का मौका पा कर परवरदिगार ने हमें अता किया है। सऊदी हुकूमत का कहना है कि हर साल फरीजये हज तकमील के बाद से फौरन अगले साल के हज की तैयारियां शुरू कर दी जाती हैं। वाजे रहे कि हज के दौरान आजमीने हज को मुखतलिफ किस्म की आला तरीन खिदमात जैसे तिब्बी इमदाद ट्रांसपोर्टेशन, पानी, तगजियां, आग से बचाव के आलाजात ओर हेलीकाप्टर वगैरा की खिदमात फराहम की जाती है। इसके एलावा आजमीने हज की हिफाजत सिक्योरिटी और आराम के पेशे नजर हजारों अफसरान तैनात किये जाते है।
ऐसा कोैन मुसलमान है जिसे खानये काबा देखने की तमन्ना न हो। ऐसा कोई ईमान वाला है जिसे उस जमीन देखने की आरजू न हो जिस पर अल्लाह के महबूब के कदमे मुबारक पडे। ऐसा कोैन सा मोमिन है जिसे इस मुद्दस मकामात के दीदार की ख्वाहिश न हो। जिन्हें देख कर इन्सान सब कुछ भूल जाता है। अक्सर लोगों का कहना है कि काबा पर पहली नजर पडते ही जेहन मंें कोई ख्याल नहीं रह जाता है। जी यही चाहता है कि निगाह काबा पर ही रहे । कितने खुशनसीब हैं वह लोग जिन्हेें हज करने की सआदत हासिल होती हैर्। आैर इतनी अजीम सआदत को हासिल करने के लिये दुनिया का हर इन्सान तमन्ना किया करता है। आपको शायद यह सुनकर हैरत होगी कि इस साल हज के लिये 60 हजार अफराद को इजाजत दे दी। और 23 जून तक आन लाईन दरख्वास्त देने को कहा गया है। मगर फिर 24 घंटों के अन्दर ही साढे चार लाख अफराद ने हज की अदायगी के लिये आनलाईन दरख्वास्तेें देकर एक रेकार्ड बा दिया है।
मुसलसल दो सालों से कोरोना वायरस की वजह से सऊदी अरब से बाहर रहने वाले कमुसलमानेां को हज करने की सआदत हासिल नहंी हो रही है। इस बात का तमाम लोगों को अफसोस है। मगर लोग सऊदी हुकूमत के फैसले का खैर मकदम कर रहे है और दुआ कर रहे है कि इन्शाअल्लाह कोरोना खात्मे के बाद अगले साल लाखों मुसलमान हज करने की सआदत हासिल करेंगेें।