दो ओवर पहले किसी ने सोचा नहीं होगा कि केकेआर की टीम जीत भी सकती है. दो ओवर में 43 और अंतिम ओवर में 29 रनों की ज़रुरत थी. क्रीज़ पर रिंकू सिंह के साथ उमेश यादव थे. मगर फिर कुछ ऐसा हुआ जिसकी कल्पना भी स्टेडियम में बैठे दर्शकों ने नहीं की होगी। आखरी पांच गेंदों पर 28 रनों की ज़रुरत थी यानि चार छक्के और एक चौका चाहिए था. मगर नाटे कद के रिंकू जो अब तक कुछ बुझे से दिख रहे थे के दिमाग में कुछ और ही चल रहा था, इसके बाद रिंकू ने लगातार पांच छक्के जड़कर एक इतिहास रच दिया और अपनी टीम को असंभव सी लगने वाली जीत दिला दी.

सही कहते हैं कि क्रिकेट में क्या कुछ नहीं हो सकता है। क्रिकेट अनिश्चितताओं का खेल है आज यह फिर से सबित हो चुका है। रिंकू सिंह की यह पारी सालों साल याद रखी जाएगी। राशिद ने एक तरफ़ जहां हैट्रिक लेकर मैच को कोलकाता से काफ़ी दूर लेकर चले गए थे, वहीं रिंकू ने अंतिम में ऐसा प्रहार किया जिसकी गूंज काफ़ी सालों तक याद रहेगी। रिंकू के इस कारनामे में रशीद खान की हैटट्रिक कहाँ खो गयी पता ही नहीं चला. रिंकू सिंह ने 21 गेंदों में 6 छक्कों और एक चौके की मदद से 48 रनों की नाबाद पारी खेली।

गुजरात टाइटंस इस मैच में अपने स्टार कप्तान हार्दिक पंड्या के बिना उतरी थी. ऐसे में राशिद खान ने कमान संभाली. गुजरात की पारी सिर्फ दो खिलाड़ियों के नाम रही- साई सुदर्शन और विजय शंकर. तमिलनाडु से आने वाले गुजरात के इन दोनों खिलाड़ियों ने बेहतरीन अर्धशतक लगाए. दोनों की पारियों का अंदाज और अहमियत अलग-अलग रही. साई सुदर्शन ने एक जुझारू पारी खेली और लगातार दूसरे मैच में अर्धशतक जमाया. बाएं हाथ के 21 साल के इस बल्लेबाज ने कोलकाता के स्पिनरों के खतरे को नाकाम किया और टीम को बीच के ओवरों में बेहतर स्थिति में पहुंचाया.

अगर सुदर्शन ने टीम को स्थिरता दी तो विजय शंकर ने विस्फोटक फिनिशर की भूमिका निभाई. पिछले दो मैचों में छोटी-छोटी लेकिन तेज पारियां खेलने वाले शंकर को इस बार काफी वक्त मिला. 14वें ओवर में क्रीज पर आए शंकर ने खुद को सेटल किया और फिर आखिरी दो ओवरों में तहलका मचा दिया. 19वें ओवर में विजय शंकर ने 2 छक्के और 2 चौके कूटे और फिर 20वें ओवर में लगातार 3 छक्के शार्दुल ठाकुर पर जड़ दिये. शंकर ने सिर्फ 21 गेंदों में अर्धशतक पूरा किया और टीम को 204 रन तक पहुंचाया.