वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को सौ साल पहले काशी से चोरी हुई मां अन्नपूर्णा की मूर्ति वापस आने की जानकारी देते हुए सोमवार को यहां कहा कि देश की धार्मिक एवं सांस्कृतिक धरोहर ही उनकी विरासत है और उसे प्राथमिकता के आधार पर बचाया जा रहा है।

अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में गंगा नदी के राजघाट पर दीया जलाकर विश्व प्रसिद्ध ‘देव दीपावली 2020’ उत्सव के तहत लाखों दीये जलाने की शुरुआत की।


इस अवसर उन्होंने अपने संबोधित में कहा, “100 साल से पहले माता अन्नपूर्णा की जो मूर्ति काशी से चोरी हो गई थी, वो अब फिर वापस आ रही है। माता अन्नपूर्णा एक बार फिर अपने घर लौटकर आ रही हैं। काशी के लिए ये बड़े सौभाग्य की बात है।”

उन्होंने कहा, “हमारे देवी देवताओं की ये प्राचीन मूर्तियां, हमारी आस्था के प्रतीक के साथ ही हमारी अमूल्य विरासत भी हैं। ये बात भी सही है कि इतना प्रयास अगर पहले किया गया होता, तो ऐसी कितनी ही मूर्तियां, देश को काफी पहले वापस मिल जातीं लेकिन कुछ लोगों की सोच अलग रही है।”

उन्होंने पूर्व की सरकारों की ओर इशारा करते हुए कहा कि कुछ लोगों की प्राथमिकताएं अपने परिवार की विरासत बचाने की थी, हमारे लिए विरासत का मतलब है हमारी संस्कृति, हमारी आस्था और हमारे मूल्य हैं।

प्रधानमंत्री ने श्री काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर निर्माण एवं यहां के विकास कार्यों की चर्चा करते हुए कहा, “काशी के लिए जब विकास के काम शुरू हुये थे, विरोध करने वालों ने सिर्फ विरोध के लिए विरोध तब भी किया था। जब काशी ने तय किया था कि बाबा के दरबार तक विश्वनाथ कॉरिडोर बनेगा, विरोध करने वालों ने तब इसे लेकर भी काफी कुछ कहा था लेकिन आज बाबा की कृपा से काशी का गौरव पुनर्जीवित हो रहा है।”

उन्होंने ऐतिहासिक बातों का उल्लेख करते हुए कहा कि सदियों पहले बाबा के दरबार का माँ गंगा तक जो सीधा संबंध था, वो फिर से स्थापित हो रहा है।
प्रधानमंत्री ने गुरु नानक देव को उनकी जयंती पर याद करते कहा कि आज हम रिफॉर्म्स की बात करते हैं, लेकिन समाज और व्यवस्था में रिफॉर्म्स के बहुत बड़े प्रतीक तो स्वयं गुरु नानक देव जी ही थे।

उन्होंने कहा कि हमने ये भी देखा है कि जब समाज, राष्ट्रहित में बदलाव होते हैं, तो जाने-अनजाने विरोध के स्वर ज़रूर उठते हैं लेकिन जब उन सुधारों की सार्थकता सामने आने लगती है तो सब कुछ ठीक हो जाता है। यही सीख हमें गुरुनानक देव जी के जीवन से मिलती है।

इस अवसर पर श्री मोदी ने देश की रक्षा के लिए जान देने वाले शहीदों को नमन किया। उन्होंने आशा प्रकट करते हुए कहा कि बाबा विश्वनाथ एवं मां गंगा के आशीर्वाद से कोरोना संकट से निकलकर हम विकास की ओर तेजी से बढ़ेंगे। उन्होंने ‘लोकल फॉर वोकल’ यानी स्थानीय उत्पाद खरीदने को प्राथमिकता देने की लोगों से एक बार फिर अपील करते हुए इसे अपनी आदत में लाने की अपील की।

प्रधानमंत्री ने अलंकदा क्रूज पर सवार होकर राजघाट से रविदास घाट तक जल मार्ग से यात्रा की। रास्ते में उन्होंने चेतसिंह घाट के पास गंगा से बाबा भोले से संबंधित रेज़र शो का अद्भूत नज़ारा देखा। उनके साथ मुख्यमंत्री योगी नाथ मौजूद थे।

श्री मोदी ने राजघाट पर दीया जलाकर मां गंगा को समर्पित किया। यहां आयोजित समारोह में उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार के पर्यटन विभाग के ‘पावनपथवाराणसी’ नामक वेबसाइट का उद्घाटन किया। इसके माध्यम से श्रद्धालु एवं पर्यटक यहां के प्रमुख मंदिर तथा धार्मिक महत्व के स्थानों के बारे में आसानी से तमाम जानकारियां प्राप्त कर सकेंगे।

श्री मोदी के दीप चलाने के साथ ही 11 लाख मिट्टी के दीये गंगा के दोनों तटों पर जला दिये गये। लाखों दीये एक साथ जलने से गंगा नदी और आसपास एक मनोहारी दृश्य लोगों को देखा।