लखनऊ
भाकपा (माले) ने कहा है कि वोट लेने के बाद भाजपा अब राशनकार्डों को निरस्त करवा रही है। यह नागरिकों के साथ धोखा है।

माले राज्य सचिव सुधाकर यादव ने शनिवार को जारी एक बयान में कहा कि भाजपा के चुनाव प्रबंधकों ने फ्री राशन के बदले वोट लेने का अघोषित दांव चला और अब चुनाव बाद अपात्र बताकर निरस्त करवा रहे हैं। जुर्माना भी लगाने के आदेश जारी किए गए हैं। बहाना बनाया जा रहा है कि कोरोना काल में ज्यादा राशनकार्ड बन गए। सवाल है कि राशन कार्ड बनाये किसने और वे चुनाव बाद अवैध कैसे हो गए?

माले नेता ने कहा कि इस साल किसानों से गेंहू की सरकारी खरीद नाममात्र की हुई है और सरकारी गोदामों में गेहूं की उपलब्धता घट गई है। इससे राशन की दुकानों से अनाज वितरण प्रभावित हुआ है। पांच किलो प्रति व्यक्ति व 35 किलो प्रति अंत्योदय परिवार के कोटे में गेहूं की मात्रा भी घटा दी गयी है। यही हाल रहा तो कोटे के राशन का भी वही हाल होगा जो गैस सिलेंडर की सब्सिडी का हुआ है।

कामरेड सुधाकर ने कहा कि खाद्य सुरक्षा हरेक को मिलनी चाहिए। खाद्य सुरक्षा सार्वभौमिक होनी चाहिए। लिहाजा राशनकार्ड हरेक परिवार का अधिकार है।