लखनऊ
भाकपा (माले) ने कुछ भगवा संगठनों द्वारा कांवड़ यात्रा मार्ग पर पड़ने वाली खानपान की दुकानों के मालिकों-कर्मचारियों की धार्मिक पहचान उजागर करने के लिए कपड़े उतरवाने को आपराधिक, विभाजनकारी और शर्मनाक बताते हुए इस पर रोक लगाने की मांग की है।

पार्टी के राज्य सचिव सुधाकर यादव ने गुरुवार को एक बयान में कहा कि पश्चिम उत्तर प्रदेश के जिलों से आ रही खबरें चिंताजनक हैं। बिना सरकार की शह के यह संभव नहीं है। कानून व्यवस्था लागू करने वाली एजेंसियों की चुप्पी बताती है कि ऐसा करने वालों को मौन समर्थन है। एक तरफ स्वघोषित गौरक्षकों के गिरोह मुस्लिम कारोबारियों की बर्बर पिटाई करते हैं, जैसा कि अलीगढ़ में हाल में हुआ, दूसरी तरफ भगवा संगठन मुस्लिमों को कपड़े उतारने के लिए विवश करते हैं। यह भाजपा सरकार की नफरत की राजनीति का परिणाम है, जिसमें अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जाता है।

माले नेता ने कहा कि इसके पीछे प्रदेश सरकार का वह नफरती आदेश है, जिसमें होटल चलाने वाले मालिकों, कर्मचारियों और खाद्य वस्तुयें बेचने वाले दुकानदारों, ठेलेवालों को नेमप्लेट लगाने के लिए कहा गया है। आदेश का मकसद ही खानपान व्यवसाय से जुड़े लोगों की धार्मिक पहचान उजागर करना है। एक कदम आगे बढ़कर भगवा संगठन इसे अपने तरीके से लागू कर रहे हैं और कानून को हाथ में ले रहे हैं। यह भगवा गुंडई है और तत्काल रोकी जाए।