जयपुर:
राजस्थान चुनाव के रविवार को आए परिणाम में बीजेपी की भारी जीत के बावजूद पार्टी के कद्दावर नेता सतीश पूनिया आमेर विधानसभा सीट से हार गए। अपनी हार से निराश बीजेपी नेता पूनिया ने सोमवार को आमेर छोड़ने का ऐलान करते हुए कहा कि वह भविष्य में इस निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव नहीं लड़ेंगे।

सतीश पूनिया ने एक्स पर कहा, “यह मेरे लिए परीक्षा की घड़ी है। परिस्थितियों ने मुझे भविष्य में आमेर से चुनाव न लड़ने का फैसला करने के लिए मजबूर किया है। मैं अपने फैसले के बारे में पार्टी नेतृत्व को भी सूचित करूंगा और उनसे यहां के लोगों की समस्याओं के समाधान के लिए योग्य व्यक्तियों को नियुक्त करने का अनुरोध करूंगा।”

बीजेपी नेता ने आगे कहा, “लोकतंत्र में जनता पवित्र होती है। मैं आमेर की जनता के फैसले को स्वीकार करता हूं। मैं कांग्रेस के विजयी उम्मीदवार प्रशांत शर्मा को बधाई देता हूं। मुझे उम्मीद है कि वह विकास को इसी तरह गति देते रहेंगे और आमेर की और जनभावनाओं का सम्मान करेंगे। मेरा आमेर के साथ 10 साल से मजबूत रिश्ता है। मैं पार्टी के निर्देश पर 2013 में चुनाव लड़ने आया था। मैं सिर्फ 329 वोटों से हार गया था।

उन्होंने कहा, बीजेपी सरकार के दौरान हमने यहां विकास को मुद्दा बनाकर काम किया था। हालांकि लोग कहते हैं कि बड़ी जातियों के जाल में जाति से ऊपर उठकर किसी के लिए विकास के बारे में सोचना थोड़ा मुश्किल है। हमने 2013-2018 में कोशिश की और थोड़ा सफल रहे। विकास कार्यों से लेकर कोरोना के दौरान सेवा कार्यों तक लोगों में विश्वास पैदा करने का प्रयास किया गया है। शायद हम लोगों को समझाने में विफल रहे।”

उन्होंने कहा कि चुनाव में जीत और हार एक सिक्के के दो पहलू हैं इस हार ने उन्हें आत्ममंथन करने पर मजबूर कर दिया है। पूनिया ने कहा, “यह एक झटके की तरह है। हमने सपना देखा था कि आमेर इस बार अपनी रीति-नीति बदलेगा। हम सब मिलकर कार्यकर्ताओं का सम्मान और सरकार के माध्यम से जनता के लिए उत्कृष्ट कार्य करके इसे आदर्श विधानसभा क्षेत्र बनाएंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ, यह समय मेरे लिए एक कठिन परीक्षा की तरह है।”

दरअसल चुनाव से पहले भी पूनिया अपनी विधानसभा सीट बदलकर झोटवाड़ा और सांगानेर से चुनाव लड़ना चाहते थे। लेकिन कथित तौर पर केंद्रीय नेतृत्व ने उन्हें इजाजत नहीं दी। सिर्फ नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ को ही अपनी सीट बदलने की छूट दी गई। इस बार राठौड़ ने चूरू विधानसभा की बजाय तारानगर विधानसभा से चुनाव लड़ा था। इसके बावजूद वह हार गए।