नई दिल्ली: पिछले छह सालों में विभिन्न सरकारी विभागों के खिलाफ जनता की शिकायतों में भारी उछाल आया है. 2015 के बाद से जनशिकायतों का विभाग सीधे प्रधानमंत्री के अधीन कार्य कर रहा है. इसने इस दौरान आम जनता की शिकायतों में खतरनाक दस प्रतिशत की वृद्धि देखी है.

UPA-2 में मिली थीं 8.57 लाख शिकायतें
सूचना के अधिकार (आरटीआई ) के तहत दायर एक आवेदन के जवाब में, कार्मिक और लोक शिकायत विभाग (डीओपीटी) ने खुलासा किया कि यूपीए (2009-2013) की पांच साल की अवधि के दौरान 8.57 लाख शिकायतें मिली थीं.

2019 में लगभग 19 लाख शिकायतें
2014 में प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी के आगमन के बाद शिकायतों के प्रवाह में साल-दर-साल वृद्धि देखी गई. यदि 2014 में शिकायतें तीन लाख थीं, तो वे 2015 में सीधे दस लाख से अधिक हो गईं, 2016 में 15 लाख और 2019 में लगभग 19 लाख शिकायतें आईं .

81.54 लाख शिकायतें
छह साल की अविध में यह लगभग दस गुना अधिक हैं. आरटीआई के तहत दिए गए जवाब में डीओपीटी द्वारा दिए गए आंकड़ों से पता चला है कि 2014-2019 के दौरान, शिकायतों की संख्या ने 81.54 लाख की रिकॉर्ड ऊंचाई को छू लिया.

शिकायतों का जल्दी निपटारा
हालांकि डीओपीटी ने दावा किया है कि जनता की शिकायतों के निवारण में लगने वाले समय में भारी कमी आई है लेकिन उसने यह विवरण नहीं दिया कि क्या किसी भी मंत्रालय या विभाग के अधिकारियों को लोगों की शिकायतों को हल करने में देरी का दोषी पाया गया. इस बावत विवरण देने से विभाग ने इनकार कर दिया.