ज़ीनत क़िदवाई

ज़ीनत क़िदवाई

31 जून को लॉकडाउन 4 समाप्त हुआ और 8 जून से अनलॉक 1 शुरू होने की घोषणा हुई, बीच का एक हफ्ता इसकी तैयारियों के लिए रखा गया और लोगों को काफी छूट मिली| इस घोषणा के साथ ही हमारी अपनी ज़िम्मेदारी भी बढ़ गयी है क्योंकि अब सरकार ने नियम बता दिए हैं कि आपको कैसे रहना है भले वह संभव हो या न हो लेकिन आपको उनका पालन करना है वरना मरना है| सरकार आपके संक्रमित होने की ज़िम्मेदार नहीं होगी | इसलिए सावधानी के साथ नियमों का पालन करें |

सरकार ने 25 मार्च को लॉकडाउन किया, सबकुछ बंद होने के बाद भी कोरोना के केस, जिनकी संख्या 25 मार्च को 564 थी आज बढ़कर 2,26,713 हो चुकी है और मरने वालों की संख्या 6,363 हो चुकी है| मरने वालों की संख्या सही है यह भी अभी नहीं कहा जा सकता क्योंकि घर पर हुई मौतों का कोई ब्यौरा नहीं है , जो घर पर मरा उसका बिना जांच अंतिम संस्कार हो गया | कोरोना को रोकने के उपाय करने में सरकार पूरी तरह से अक्षम नज़र आती है| इतना सख्त लॉक डाउन करने के बाद भी कोरोना का क़हर जारी है| कोरोना की संख्या प्रतिदिन विकास की ओर अग्रसर है कोरोना का ग्राफ अंतरिक्ष यान की तरह स्पेस की ओर भागा जा रहा है | दुनिया भर में जहाँ भी लॉकडाउन हुआ वहां पर केसों में कमी आयी लेकिन भारत में लॉकडाउन का उल्टा असर दिखाई दे रहा है|

दुनिया में कई देशों ने बिना लॉक डाउन कोरोना की लड़ाई जीती है| हमारी सरकार ने पश्चिमी देशों की नक़ल करके बंदी की जिसका उसे नुक्सान हुआ और देश की अर्थव्यवस्था चरमरा गयी| 31 को समाप्त लॉकडाउन 4 के बाद से 4 जून तक भारत में कोरोना संक्रमितों की संख्या लगातार 8 से नौ हज़ार प्रतिदिन बढ़ रही है| अभी हम कोरोना प्रभावित देशों की सूची में विश्व में सातवें नंबर पहुँच चुके हैं| अनलॉक-I 8 जून से शुरू होने वाला है, गाइडलाइन्स जारी हो चुकी हैं जिसमें मॉल मंदिर सबकुछ खुलने वाला है, अनलॉक-II की तैयारी भी शुरू हो चुकी है जिसमें स्कूल कालेज भी खुल जायेंगे|

इतने दिनों में हमारे डॉक्टर्स, स्वास्थ्य कर्मी, पुलिसकर्मी आदि कोरोना वारियर्स इस बीमारी से संक्रमित हुए हैं और कई लोगों की मौत भी हुई है | पहले भी सरकारें नियम बनाती थीं और उनका पालन नहीं होता था मगर सवाल पूछने वालों की संख्या काफी होती थी मगर अब सवाल पूछने वालों की संख्या उतनी नहीं रही हाँ नियम तोड़ने वालों की संख्या ज़रूर बढ़ गयी है | सरकारें कभी हमारी जनता को कभी नागरिक नहीं बना पायी या बनाना नहीं चाहा | सरकार ने नियम बनाया कि बाइक हेलमेट पहन कर चलाओ लेकिन हेलमेट बाइकर के सर पर नहीं वाहन में बंधा रहता है | अस्पतालों, सिनेमाघरों पार्कों और दूसरे सार्वजानिक स्थलों पर जेबकतरों से सावधान लिखकर इतिश्री कर ली जाती है| चोर चोरी और जेबकतरे जेब काटते रहते हैं | बसों और ट्रकों के पीछे लिखा रहता है कि दुर्घटना से देर भली लेकिन दुर्घटना का ग्राफ बढ़ता रहता है| स्कूली बसों पर लिखा रहता है सावधान! बच्चे हैं परन्तु अनफिट वैन और अवैध CNG किट से लैस वैन में बच्चे स्कूल जाते हैं और दुर्घटना का शिकार होते हैं| अब तो जगह जगह कैमरों से निगरानी होती है और लिखा रहता है, आप कैमरे की नज़र में हैं और नज़र भेद कर घपला हो जाता है | सभी सार्वजनिक स्थलों पर जगह जगह लिखा है थूकना मना है लेकिन उसी स्थान पर थूककर लोग चिढ़ाते हुए प्रतीत होते हैं | कोरोना के समय दुकानों में सोशल डिस्टन्सिंग का पालन न करना भी हमारे मानसिकता को दर्शाता है |

अनलॉक होने के बाद लोगों के बड़ी संख्या में संक्रमित होने का डर बढ़ गया है| जब हम यात्रा करते हैं तो हमें अपने सामान की सुरक्षा का निर्देश मिलता है| नेतागण अपनी रैलियों में आये लाखों लोगों की भीड़ को नियंत्रित करते हैं मगर सत्ता में आने के बाद उस संख्या को क्यों भूल जाते हैं? अब सरकार ने आपको नियम बता कर छोड़ दिया है आपकी ज़िन्दगी आपके लिए कितनी महत्वपूर्ण है यह आप तय कीजिये की मरना या बचना है, तो अब आपको अपने सामान के साथ साथ अपनी जान की सुरक्षा भी स्वयं करनी है,सरकार से कोई उम्मीद न रखिये| जैसे जैसे कोरोना का ग्राफ बढ़ रहा है सरकार के दावे भी बढ़ रहे हैं कि भारत में लॉकडाउन सही समय पर और सही तरीके से किया गया, अगर सही तरीके और सही समय पर लॉकडाउन से देश में कोरोना का यह हाल है तो ग़लत समय और ग़लत तरीके से लॉकडाउन का क्या हाल होता? बहरहाल जान आपकी है, सुरक्षा आपको ही करनी है| कोरोना से बच गए तो क्रेडिट सरकार को, मर गए तो भगवान की मर्ज़ी इसमें कोई क्या कर सकता है|