मोहम्मद आरिफ नगरामी

उत्तर प्रदेश असेम्बली की 402 की नशिस्तों के लिये कुल चौथे मरहले की पोलिंग होगी। 9 अजला की 60 सीटों के लिये 624 उम्मीदवार इन्तेखाबी मैदान में हैं, जिनमें राजधानी लखनऊ की 9 असेम्बली नशिस्तें भी शामिल हैं। लखनऊ की 9 असेम्बली सीटों पर 38,64,694 अफराद अपने हक्के रायदेही का इस्तेमाल करेंगे जिसमें 20,48,558 मर्द और 17,97,929 ख्वातीन रायदेहन्दगान हैं। सबसे ज्यादा रायदेहन्दगान सरोजनी नगर में 5,65,428 हैं।

वैसे तो उत्तर प्रदेश समेत पांच रियासतों में असेम्बली के इन्तेखाबात हो रहे हैं, मगर तमाम सियासी पार्टियां उत्तर प्रदेश पर ज्यादा ध्यान दे रही हैं, क्योंकि उत्तर प्रदेश सियासी एतेबार से बेहद अहेम सूबा है, आजादी मिलने के बाद से आज तक ज्यादा तर वजीरे आजम इसी सूबे के हैं। उत्तर प्रदेश ही वह रियासत है जहां से सबसे ज्यादा मेम्बरान पार्लियमेंट मुन्तखब हो कर लोक सभा पहुंचते है और मरकज की हुकूमत बनवाने में अहेम किरदार अदा करते है। कहा जाता है कि दिल्ली की तख्त नशीनी के लिये उत्तर प्रदेश को फतेह करना बहुत अहेम है। यही वजह है कि तमाम सियासी जमाअतें उत्तर प्रदेश को फतेह करने के लिये अपना धन मन तन सब लगाये हुये हैं। उत्तर प्रदेश में तीन मरहलों की पोलिंग हो चुकी है। कल चौथे मरहले की पोलिंग है। इस बार उत्तर प्रदेश में असल मकाबला हुक्मरां बीजेपी और समाजवादी पार्टी के दरमियान माना जा रहा है। 2017 के असेम्बली एलेक्शन में दिलकश और खूबसूरत नारों और वादों के जाल में फंसा कर बीजेपी ने एलेक्शन में जबर्दस्त कामयाबी हासिल की थी जिसकी वजह वसे तमाम अपोजीशन पार्टियों को अपना वजूद बरकरार रखना मुशकिल हो गया था। मौजूदा वजीरे आला, योगी आदित्य नाथ 2017 में न तो वजीरे आला के चेहरे थे और न ही किसी के ख्याल में था कि योगी जी को किस्मत उत्तर प्रदेश का वजीरे आला बनवा देगी। मगर किस्मत की देवी योगी जी पर मेहरबान थी। इसलिये उनको वजीरे आला बना दिया गया। जिन लोगों ने बीजेपी को एक्तेदार में लाने की भरपूर कोशिश और मेहनत की थीं उनको फरामोश कर दिया गया। वजीरे आला योगी आदित्य नाथ ने या उनकी पार्टी ने अपने इन्तेखाबी मन्शूर में अवाम से जो वादे किये थे वह पूरे नहीं हुये तो अवाम अपने आप को कोसने लगे। योगी जी की हुकूमत ने हिन्दू मुसलमान मन्दिर, मस्जिद, शमशान और कब्रिस्तान, दो फिरकों के दरमियान मुनाफरत को बढावा दिया जिसको अवाम ने बिल्कुल पसंद नहीं किया। खुद हुकूमत के अन्दर, उनके मुखालिफीन पैदा हो गये। सियासी मुबस्सिरीन का कहना हे कि इन पांच सालों में रियासत की तरक्की या अवाम की फलाह का कोई भी काम नहीं हुआ और यह बात सच भी है कि सिर्फ वादों से अवाम का पेट तो नहीं भर जायेगा। मन्दिर, मस्जिद जाने से जनता को भुखमरी, बेरोजगारी से छुटकारा तो नहीं हासिल होगा और अब जब कि 2022 मेें एलेक्शन हो रहे हैं तो हालात में काफी तब्दीली आ गयी है जिसमें बीजेपी की 2017 में एक आंधी और सुनामी थी वह इस बार देखने में नहीं आ रही है। गोदीमीडिया के चैनलों पर भले ही उत्तर प्रदेश में बीजेपी को एक बार फिर फातेह बनाने की जा रही हो मगर जमीनी हकीकत शायद बिल्कुल मुख्तलिफ है। सियासी पंडितों के मुताबिक अक तक जिन तीन मरहलों में वोटिंग हुयी है, वहां बीजेपी की हालत अच्छी नहीं है, तीन मरहलों में अखिलेश यादव और जयंत चौधरी के इत्तेहाद को फौकियत हासिल हुयी है। जनता ने घरों से निकल कर जबर्दस्त तरीके से वोट डाले हैं। यही सही है कि 2017 का चुनाव वजीरे आजम नरेन्द्र मोदी और वजीरे दाखला अमित शाह और रियासत के मौजूदा नायब वजीरे आला, कोशव प्रसाद मौर्या की जाती मेहनत और कोशिशों से बीजेपी जीती थी। मगर इस बार हालात को बदलते देख कर बीजपी ने तरह तरह के हरबे इस्तेमाल किये। कभ् ाी राम मंदिर की तामीर को अपनी कामयाबी बताया, कभी तीन तलाक, कभी आतंकवाद, और अब हेजाब के मसले को लेकर एलेक्शन जीतने की कोशिश की जा रही है। राम मंदिर की तामीर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर हो रही है। इसमें बीजेपी का कोई हाथ नहीं है और न ही मुसलमानों ने राम मंदिर की तामीर पर कोई मुखालिफत की है। क्योंकि भगवान राम तमाम हिन्दुस्तानियों के आईडियल हैं वह मर्यादा पुरूषोत्तम हैं। मुल्क के हर घर चाहे वह जिस मजहब का मानने वाला हो में भगवान राम माता सीता और लक्ष्मण को आदर और एहतेराम की निगाह से देखा जाता है। जहां तक हेजाब का ताजा मामला उठाया गया है तो हमारे मुल्क के कानून में हर इन्सान को आजादी दी है कि वह जिस तरह चाहे अपनी जिन्दिगी गुजारे।

खैर 2017 में बीजेपी की केयादत वाले महाज में 9 अजला में फैले हुये तमाम हल्कों में जबर्दस्त कामयाबी दर्ज करायी थी। बीजेपी ने पीलीभीत की चार, लखीमपुर की, 8, बांधा की 6, और फतेहपुर की 6 सीटों पर कामयाबी हासिल की थी। हरदोई में 8 सीटें हैं जिसमें 7 पर बीजेपी ने कामयाबी हासिल की थी। सीतापुर मेें बीजेपी ने 7 सीटों पर और लखनऊ की 9 सीटों में से 8 नशिस्तो पर, रायबरेली में 6 में से बीजेपी को 3 सीटों पर कामयाबी हासिल हुयी थी।


लखीमपुर खीरी गुजिश्ता दिनों कौमी सियासत का सबसे अहेम इशू रहा है। 3 अक्त्ूाूर को बीजेपी लीडर के बेटे की गाडी से कुचल कर मुुबैयना तौर पर कई किसानेां की मौत हो गयी थी। इस मरतबा यह मसला एलेक्शन में काफी अहेम है। खास तौर पर तराई के एलाके में इस मामले में काफी सरगर्मियां रहीं हैं। तराई के एलाके में भी कल वोट डाले जायेंगेें। अपोजीशन जमाअतें मुसलमसल बीजेपी पर इल्जाम लगा रही हैं कि अशीश मिश्रा की पुश्तपनाही की जा रही है। 2017 में बीजेपी ने लखीमपुर खीरी और कुर्ब व जवार से अजला पीलीभीत, हरदोई, सीतापुर वगैरा में अच्छी कामयाबी हासिल की थी। मगर अब देखना यह है कि इस एलेक्शनमें बीजेपी अपनी पोजीशन किस हद तक बरकरार रख पाती है। इसके अलावा पीलीभीत, लखीमपुर, सीतापुर से लखनऊ और उन्नाव तक आवारा मवेशी बीजेपी के वोट बैंक को चारा बना कर खाते दिख रही है। मुबस्सिरीन के मुताबिक चौथे मरहले की चार सीटों में कम से कम 50 नशिस्तों पर इस मरतबा आवारा मवेशी बडा इशू है। ऐसा योगी सरकार में गाय को तहफफुज की वजह से उनकी तादाद में इजाफा हुआ है, आवारा मवेशी भूख मिटाने के लिये फसलों को नुकसान पहुंुचा रहे हैं।

जहां तक लखनऊ का तअल्लुक है, वहां 9 सीटों पर कल वोटिंग है जिनमें शहरी एलाके की 5 सीटों को बीजेपी का गढ माना जाता है जब कि देही एलाकों की 4 सीटों पनर समाजवादी पार्टी और बीएसपी के हिस्से की मानी जाती है। लखनऊ की 9 सीटों में से लखनऊ मगरिबी, लखनऊ मशरिकी, वस्ती लखनऊ पर मुस्लिम वोटर्स की तादाद खासी काफी है, लेकिन इसके बावजूद इन सीटों पर बीजेपी के उम्मीदवार को कामयाबी मिलती रही है। लखनऊ मशरिकी पर गुजिश्ता 1991 में बीजेपी के भगवती शुक्ला कामयाब हुये थे। इसके बाद मुसलसल इस सीट पर बीजेपी के उम्मीदवार ही कामयाब हुये हैं। गुजिश्ता एलेक्शन में बीजेपी के आशुतोष टण्डन ने समाजवादी पार्टी के अनुराग भदौरिया को शिकस्त दी थी। इस बार भी दोनों का मुकाबला है।

लखनऊ मगरिबी असेम्बली हलके में एक लाख से जाएद मुस्लिम वोटर्स हैं। लालजी टण्डन, इस सीट पर कइ्र बार एलेक्शन जीते। लेकिन 2012 में एस0पी के रेहान नईम को कामयाबी हासिल हुयी थी। लेकिन 2017 में बीजेपी के सुरेश श्रीवास्तव ने रेहान नईम को शिकस्त देकर यह सीट जीती थी। इस बार बीजेपी ने अंजनी कुमार श्रीवास्तव को और समाजवादी पार्टी ने अरमान खान को अपना उम्मीदवार बनाया है।

लखनऊ वस्ती हलका मुस्लिम अकसरियत वालीह सीद्यट है। इसके बावजूद सात बार से बीजेपी को कामयाबी हासिल होती है। इस बार बीजेपी ने कारपोरेटर, रजनीश गुप्ता को उम्मीदवार जब कि समाजवादी पार्टी ने रविदास मेहरोत्रा को अपना उम्मीदवार बनाया है।

लखनऊ कैण्ट बीजेपी के लिये सबसे महफूज नशिस्त मानी जाती है। इस बार बीजेपी ने इस सीट से रियासती वजीर बृजेश पाठक को जब कि समाजवादी पार्टी ने राजीव गांधी को अपना उम्मीदवार बनाया है।

इस बार उत्तर प्रदेश में बीजेपी का सीधा मुकाबला समाजवादी पार्टी से है। अभी तक जिन तीन मरहलों में वोटिंग हुयी है वहां दोनों पार्टियां अपनी जीत का दावा कर रही है, साथ ही साथ यह बात भी कही जा रही है कि एलेक्शन 2017 से बिल्कुल मख्तलिफ है। कल की पोलिंग के बाद भी तीन मरहलों की पोलिंग बाकी है। माहौल बदलते वक्त देर नंहीं लगी। किसी भी तरफ मुड सकती है। इसलिये हम सबको 10 मार्च का इन्तेजार करना होगा जिस दिन एलेक्शन के नताएज का एलान होगा।