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सुप्रीम कोर्ट 25 फरवरी को पेगासस निगरानी घोटाले से संबंधित मामले की सुनवाई के लिए सहमत हो गया है। दरअसल सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मुख्य न्यायाधीश एनवी रमण के समक्ष नई तारीख के लिए अनुरोध किया था। उन्होंने कहा कि बुधवार को एक अलग आंशिक सुनवाई वाले मामले में इस बाबत बहस होनी चाहिए।

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त पेगासस पैनल ने जांच की प्रगति के बारे में शीर्ष अदालत का मूल्यांकन करते हुए एक अंतरिम रिपोर्ट सौंप दी है। जिसके बाद मामले को 23 फरवरी को मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमण और न्यायमूर्ति सूर्यकांत और हेमा कोहली की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया था। पैनल ने पहले कहा था कि केवल दो लोगों ने फोरेंसिक जांच के लिए अपने मोबाइल फोन इसके पास जमा किए हैं।

पिछले साल 27 अक्टूबर को शीर्ष अदालत ने कहा था कि उसे सच्चाई का निर्धारण करने के लिए मजबूर होना पड़ा है। उसने एक शीर्ष अदालत के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति आर.वी. रवींद्रन की अगुवाई में पेगासस जासूसी के आरोपों की जांच के लिए पैनल बनाया था। शीर्ष कोर्ट ने तकनीकी समिति को प्रभावी ढंग से लागू करने और संदर्भ की शर्तों का जवाब देने के लिए अपनी प्रक्रिया तैयार करने के लिए अधिकृत किया था। समिति जो उचित समझे, जांच कर सकती है जांच के संबंध में किसी भी व्यक्ति के बयान ले सकती है और किसी भी प्राधिकरण या व्यक्ति के रिकॉर्ड की मांग कर सकती है।

न्यायमूर्ति रवींद्रन तकनीकी समिति के कामकाज की देखरेख कर रहे हैं और उनकी सहायता के लिए पूर्व आईपीएस अधिकारी आलोक जोशी और अंतर्राष्ट्रीय मानकीकरण संगठन अंतर्राष्ट्रीय इलेक्ट्रो-तकनीकी आयोग/संयुक्त तकनीकी समिति में उप समिति के अध्यक्ष डॉ संदीप ओबेरॉय हैं।

तकनीकी समिति के तीन सदस्य डॉ नवीन कुमार चौधरी, प्रोफेसर (साइबर सुरक्षा और डिजिटल फोरेंसिक) और डीन, राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय, गांधीनगर, डॉ प्रभारन पी., प्रोफेसर (इंजीनियरिंग स्कूल), अमृता विश्व विद्यापीठम, अमृतापुरी, केरल और डॉ अश्विन अनिल गुमस्ते, संस्थान के अध्यक्ष, एसोसिएट प्रोफेसर (कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग), भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, बॉम्बे हैं।