टीम इंस्टेंटखबर
भारत में इजरायली सॉफ्टवेयर Pegasus को लेकर राजनीतिक गर्मी पहले से बढ़ी हुई थी वहीँ खबर आयी है कि न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्टके बाद अब इजरायल में भी बवाल शुरू हो गया है.

दरअसल, अटॉर्नी जनरल के ऑफिस ने पुलिस को Pegasus से हुई जासूसी की जांच करने का आदेश दिया था. इसमें सामने आया है कि पुलिस ने कुछ लोगों की जासूसी की थी. पुलिस ने कानून का उल्लंघन होने की बात भी कबूल की है. जबकि, पिछले महीने पुलिस ने जासूसी सॉफ्टवेयर के दुरुपयोग के सबूत मिलने की बात नकारी थी. अब पुलिस ने माना है कि Pegasus के जरिए इजरायल के नागरिकों की जासूसी की गई.

एक इजरायली अखबार ने दावा किया था कि पूर्व प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अपने खिलाफ हो रहे प्रदर्शनों के दौरान आम नागरिकों की जासूसी करवाई थी और इसके लिए Pegasus का इस्तेमाल किया था. मामला बढ़ा तो इसकी जांच कराई गई. पुलिस के इन्वेस्टिगेशन और इंटेलिजेंस विभाग के डिप्टी चीफ योआव तेलेम ने संसदीय समिति को जासूसी होने के सबूत मिलने की बात कही है.

उन्होंने स्थानीय मीडिया को बताया कि ये 1979 के उस कानून का उल्लंघन हो जो सिर्फ आतंकियों और संदिग्ध अपराधियों के फोन टैप करने का अधिकार देता है. क्योंकि इस मामले में आम लोगों के फोन भी टैप किए गए. इजरायली अखबार कैलकैलिस्ट ने पिछले महीने रिपोर्ट में दावा किया था कि सरकार ने विरोधी नेताओं और लोगों की जासूसी के लिए Pegasus का इस्तेमाल किया था.

अखबार ने पुलिस पर Pegasus का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया था. इसकी जांच के लिए एक कमेटी का गठन किया गया है, जिसे 1 जुलाई तक रिपोर्ट देनी है. अंतरिम रिपोर्ट में पुलिस ने माना है कि उसने लोगों की जासूसी करने के लिए Pegasus का इस्तेमाल किया था. NSO किसे Pegasus बेचेगी, ये सब सरकार की देखरेख में होता है. लेकिन एक बार किसी को बिक जाने के बाद NSO की उसमें कोई भूमिका नहीं होती. Pegasus पिछले साल उस समय चर्चा में आया था जब एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि दुनियाभर के पत्रकारों और राजनेताओं की जासूसी के लिए इसका इस्तेमाल किया गया है. भारत में भी इसको लेकर विवाद हुआ था. रिपोर्ट में दावा किया गया था कि सरकार ने 300 से ज्यादा पत्रकारों, राजनेताओं और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की जासूसी की.