टीम इंस्टेंटखबर
मुगलों को डकैत बताकर विवादों में आए बॉलीवुड के कथित राष्ट्रवादी गीतकार मनोज मुंतशिर ने अंग्रेजी कविता “कॉल मी” को चुराने के आरोप के जवाब में कहा कि मुझे राष्ट्रवादी होने की सज़ा दी जा रही है.

दरअसल मनोज मुंतशिर की किताब ‘मेरी फितरत है मस्ताना’ में एक कविता ‘मुझे कॉल करना’ छपी है जिसे रॉबर्ट जे लावरी की अंग्रेजी की कविता कॉल मी का हिंदी अनुवाद बताया जा रहा है।

मनोज मुन्तशिर ने इस आरोप से बचने के लिए राष्टवाद के मुद्दे का सहारा लिया है. मनोज मुंतशिर ने मामले को लेकर एक ट्वीट किया है, उन्होंने एक लिंक भी ट्विटर पर साझा किया है जिसमें वह कह रहे हैं कि उन्हें राष्ट्रवादी होने की सजा दी जा रही है। मुंतशिर ने कहा- मैं रुकने और झुकने वाला नहीं हूं। मेरे साथ लाखों भारतवासी कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं। ये लोग जानते हैं कि मैं सच कह रहा हूं और सच को कभी समर्थन की कमी नहीं होती।

गौरतलब है की सोशल मीडिया पर कविता चुराने के आरोप में मनोज मुन्तशिर को लगातार ट्रोल किया जा रहा है. इससे पहले उन्होंने एक ट्वीट में कहा था कि वह इसका जवाब फुर्सत में देंगे। उन्होंने लिखा था- 200 पन्नों की किताब और 400 फिल्मी और गैर फिल्मी गाने मिलाकर सिर्फ 4 लाइनें ढूंढ पाए? इतना आलस? और लाइनें ढूंढो, मेरी भी और बाकी राइटर्स की भी। फिर एक साथ फुरसत से जवाब दूंगा। शुभ रात्रि!

मनोज मुन्तशिर के इस ट्वीट से यह आभास होता है कि इतनी रचनाओं के सृजन में अगर किसी एक रचना को चुरा लिया तो कोई ख़ास बात नहीं। मनोस्ज़ कहते हैं कि बाक़ी राइटर्स की भी रचनाएँ ढूंढो, मतलब अगर दूसरे चोरी कर सकते हैं तो हम भी कर सकते हैं, मतलब कि वह अपनी चोरी को जायज़ ठहरा रहे हैं.