टीम इंस्टेंटखबर
कांग्रेस पार्टी के नेता और राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा है कि जर्मनी पहुँचते ही प्रधानमंत्री मोदी ने विदेश की धरती पर एक बार फिर भारत देश की आलोचना करके सभी स्थापित परम्पराओं और कूटनैतिक मर्यादाओं का आखिर उल्लंघन कर ही डाला ।

भारत की विदेश नीति का यह स्थापित सिद्धान्त है कि विदेश की धरती पर कभी अपने देश की आलोचना नहीं की जा सकती है । श्री तिवारी ने कहा है कि जब देश का डेलीगेशन जाता है तो विपक्ष भी जाता है – किन्तु विदेश की धरती पर विपक्ष अपने देश की सरकार की या तो प्रशंसा करता है या फिर चुप रहता है- कभी विदेश की धरती पर अपने देश की सरकार की आलोचना नहीं करता है । परन्तु जापान की धरती से शुरू हुई इस भूल को,जहाँ प्रधानमंत्री ने भारत की पूर्ववर्ती सरकारों की आलोचना की थी, भ्रष्टाचार की आलोचना की थी, उसे उन्होंने अपने हर विदेश दौरे में जारी रखा, पिछले विदेश दौरे में भी उन्होंने आलोचना की थी और इस दौरे में भी प्रधानमंत्री ने आलोचना की है।

प्रमोद तिवारी ने कहाकी सरकारें आती- जाती रहती है परन्तु देश वही रहता है, यदि ऐसा नहीं होता तो स्व. अटल बिहारी बाजपेयी जी, जो तत्कालीन कांगे्रस सरकार के कार्यकाल में नेता प्रतिपक्ष थे, उन्हेंने नेता के रूप में न देखती । बल्कि उनके अंतर्गत अपने मंत्रियों को रखकर देश का मान बढ़ाया था, और स्थापित परम्पराओं का पालन किया था। प्रमोद तिवारी ने प्रधानमंत्री मोदी से आग्रह किया है कि भविष्य में आजादी के बाद की लोकतांत्रिक ढंग से चुनी हुई सरकारों के कार्यकाल पर या तो ख़ामोशी रखें, या फिर उनकी प्रशंसा करें , उनकी आलोचना न करें ।