लखनऊ
भाकपा (माले) की राज्य इकाई ने प्रयागराज के फाफामऊ में सामूहिक दलित हत्याकांड को एक और नरसंहार बताते हुए घटना के लिए योगी सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। पार्टी ने कहा है कि मुख्यमंत्री योगी के ‘रामराज्य’ में सवर्ण दबंगों के हौसले बुलंद हैं और दलित नरसंहार की छूट है।

राज्य सचिव सुधाकर यादव ने फाफामऊ के मोहनगंज गुलवरिया गांव हत्याकांड पर गहरा रोष व्यक्त करते हुए कहा कि पूरे दलित मजदूर परिवार का दबंगों ने सफाया कर दिया। पति-पत्नी और दो बच्चों समेत चार लोगों की घर में सोते हुए हत्या हो गई। घटना योगी सरकार की कानून-व्यवस्था की पोल खोलती है। माले की एक टीम घटनास्थल का दौरा करेगी।

कामरेड सुधाकर ने कहा कि योगी राज में नरसंहार पर नरसंहार हो रहे हैं, फिर भी केंद्र सरकार के भाजपा नेता कानून-व्यवस्था पर मुख्यमंत्री की पीठ थपथपाने में जरा भी शर्मिंदगी महसूस नहीं करते। लखीमपुर खीरी में पिछले ही महीने किसान नरसंहार हुआ, जिसमें भाजपा नेता के इशारे पर चार आंदोलनकारी किसान और एक पत्रकार कुचलकर मार दिए गए। उसके भी पहले सोनभद्र का उभ्भा आदिवासी नरसंहार (2019) हुआ, जिसमें अनुसूचित जनजाति समुदाय के 11 लोगों की भूमाफिया ने सामूहिक हत्या करवा दी। ताजा घटना में चार दलित मारे गए, फिर भी भाजपा कहती है कि यूपी में योगी के नेतृत्व में रामराज्य है।

माले नेता ने कहा कि फाफामऊ हत्याकांड के शिकार परिवार के परिजनों के अनुसार गांव के दबंग उसे परेशान कर रहे थे और पुलिस दबंगों के साथ मिली हुई थी। एससी-एसटी कानून की धारा में दबंगों के खिलाफ पीड़ित परिवार की ओर से मुकदमा दर्ज कराने के बावजूद पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। उल्टे, दबंगों के इशारे पर पुलिस ने पीड़ित परिवार के खिलाफ ही छेड़खानी का मुकदमा लिख लिया, ताकि दलित परिवार को दबंगों से समझौते के लिए बाध्य किया जाए। योगी की पुलिस की यह कार्यप्रणाली सीधे तौर पर दबंगई को संरक्षण देने का सटीक उदाहरण है। यही कारण है कि मुख्यमंत्री योगी शाषित यूपी दलित उत्पीड़न में देश में अव्वल है और इस सरकार में दलितों व कमजोरों को न्याय मिलना दूर की कौड़ी है।

माले राज्य सचिव ने कहा कि यदि पुलिस ने पीड़ित परिवार की शिकायत पर कार्रवाई की होती और सवर्ण दबंगों को संरक्षण न दिया होता, तो मासूम बच्चों समेत चार-चार जानें बचाई जा सकती थीं। इसकी जवाबदेही लेते हुए योगी सरकार को इस्तीफा देना चाहिए। माले नेता ने हत्यारों को अविलंब गिरफ्तार कर सख्त-से-सख्त सजा देने और उन्हें संरक्षण देने वाले पुलिस अधिकारियों को बर्खास्त कर आपराधिक मुकदमा दर्ज करने की मांग की। साथ ही, उच्च न्यायपालिका व दलित-आदिवासी आयोग से भी घटना का स्वतः संज्ञान लेकर न्याय दिलाने की अपील की।