टीम इंस्टेंटखबर
एक बड़े घटनाक्रम में गुवाहाटी की एक अदालत ने असम पुलिस को असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमाके खिलाफ मामला दर्ज करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने यह आदेश कांग्रेस सांसद अब्दुल खलीक की शिकायत के आधार पर दिया है.

28 दिसंबर, 2021 को खलीक ने दिसपुर पुलिस स्टेशन में सरमा के खिलाफ पुलिस शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें उन पर “घृणा फैलाने” और असम के दरांग जिले में भड़काऊ टिप्पणी करने का आरोप लगाया था लेकिन पुलिस ने शिकायत दर्ज नहीं की थी. इस घटना के बाद पुलिस फायरिंग में दो लोगों की जान चली गई थी.

जब सांसद की शिकायत पर पुलिस ने औपचारिक तौर पर प्राथमिकी दर्ज करने से इनकार कर दिया तो खलीक ने गुवाहाटी में उप-मंडल न्यायिक मजिस्ट्रेट के पास शिकायत की. इसकी सुनवाई करते हुए सोमवार को कोर्ट ने पुलिस को मुख्यमंत्री के खिलाफ FIR दर्ज करने के निर्देश दिए.

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है, “ओसी दिसपुर थाने को शिकायत में उल्लिखित आरोपों पर मामला दर्ज करने और मामले की निष्पक्ष जांच करने और जल्द से जल्द अंतिम फॉर्म जमा करने का निर्देश दिया जाता है. प्राथमिकी दर्ज करने में विफल रहने के कारण पुलिस अपने कर्तव्य के निर्वहन में विफल रही है. आरोपों की सत्यता कोई ऐसी चीज नहीं है जिसे प्राथमिकी दर्ज करने से पहले जांचा जा सके. प्राथमिकी दर्ज करने में विफल रहने से ऐसा प्रतीत होता है कि पुलिस अपने कर्तव्य के निर्वहन में विफल रही है. इसलिए, इस न्यायालय का विचार है कि यह सीआरपीसी की धारा 156 (3) के तहत यह एक उपयुक्त मामला है.”

पुलिस को लिखे अपने शिकायत पत्र में बारपेटा के सांसद ने 10 दिसंबर, 2021 को मोरीगांव जिले में शहीद दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री के भाषण के एक हिस्से का जिक्र किया था, जिसमें उन्होंने गोरुखुटी निष्कासन अभ्यास को 1983 की घटनाओं के लिए “बदला लेने की कार्रवाई” के रूप में वर्णित किया, और सरमा पर उसे “सांप्रदायिक रंग” देने का आरोप लगाया था.