नई दिल्ली: गलवान घाटी में चीनी सेना के साथ हुई हिंसक झड़प के बाद सेना ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर होने वाले ऐसे टकरावों के मद्देनजर नियमों में बदलाव किया है। नियम बदले जाने के बाद फील्ड कमांडर ही ‘असाधारण’ परिस्थितियों में आग्नेयास्त्रों के उपयोग को मंजूरी दे सकेंगे। सरकार ने एलएसी पर नियमों में बदलाव किया है। इसके तहत सेना के फील्ड कमांडरों को यह अधिकार दिया गया है कि वह विशेष परिस्थितियों में जवानों को हथियारों के इस्तेमाल की इजाजत दे सकते हैं।

फील्ड कमांडरों को मिला पावर
रविवार को हालात की समीक्षा के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत और तीनों सेना प्रमुखों की बैठक के बाद इस संबंध में कई अहम फैसले लिए गए। इसमें सबसे अहम फैसला यह है कि फील्ड कमांडरों को अप्रत्याशित स्थिति में हथियार के इस्तेमाल की अनुमति दे दी गई है। निश्चित तौर पर भारत ने दोनों सेनाओं के बीच दशकों से बंदूक इस्तेमाल नहीं करने की नीति से जरूरत पड़ने पर हटने का संकेत दे दिया है।

जवानों ने इसलिए नहीं किया था हथियारों का इस्तेमाल
सरकार के नए नियमों के अनुसार, एलएसी पर तैनात कमांडर सैनिकों को सामरिक स्तर पर स्थितियों को संभालने और दुश्मनों के दुस्साहस का ‘मुंहतोड़’ जवाब देने की पूरी छूट होगी। बता दें कि देश के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि दोनों पक्षों की सेनाएं 1996 और 2005 में एक द्विपक्षीय समझौतों के प्रावधानों के अनुसार टकराव के दौरान हथियारों का इस्तेमाल नहीं करती हैं। उन्होंने जवाब में कहा था, 15 जून को गलवान में हुई झड़प के दौरान भारतीय जवानों ने इसलिए हथियारों का इस्तेमाल नहीं किया था।

सेना को पूरी आजादी
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने रविवार को कहा था कि सरकार ने चीन से निपटने के लिए सेना को पूरी आजादी दी है। उन्होंने यह बात गलवान घाटी में देश के लिए जान गंवाने वाले कर्नल संतोष बाबू को श्रद्धांजलि देने के दौरान कही। उन्होंने कर्नल के परिवार से मुलाकात भी की। रेड्डी ने कहा, “स्थानीय हालात को देखते हुए सरकार ने भारतीय सेना को इसकी पूरी छूट दे दी है कि वह भारत की सीमाओं और अपने जवानों की रक्षा करते हुए जैसे चाहे चीनी सेना से निपटे।”