काठमांडू: नेपाल की संसद के विशेष सत्र में शनिवार (13 जून) को सरकार द्वारा देश के राजनीतिक नक्शे को संशोधित करने से संबंधित महत्वपूर्ण संवैधानिक संशोधन विधेयक को पारित कर दिया गया है। जिस नए नक्शे में भारतीय सीमा से लगे लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा जैसे रणनीतिक क्षेत्र को शामिल किया गया है। भारत ने 20 मई को इसे खारिज करते हुए इसे अनुचित मानचित्र संबंधी दावा बताया था।

नेपाल ने पिछले महीने देश का संशोधित राजनीतिक और प्रशासनिक नक्शा जारी कर रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इन इलाकों पर अपना दावा बताया था। भारत यह कहता रहा है कि यह तीन (लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा) इलाके उसके हैं। काठमांडू द्वारा नया नक्शा जारी करने पर भारत ने नेपाल से कड़े शब्दों में कहा था कि वह क्षेत्रीय दावों को “कृत्रिम रूप से बढ़ा-चढ़ाकर” पेश करने का प्रयास न करे। नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने इस महीने के शुरू में कहा था कि उनकी सरकार कालापानी मुद्दे का समाधान ऐतिहासिक तथ्यों और दस्तावेजों के आधार पर कूटनीतक प्रयासों और बातचीत के जरिये चाहती है।

नेपाली संसद में देश के नए मानचित्र संबंधी संविधान संशोधन पर मतदान होने के पहले भारत ने मैत्रीपूर्ण लहजे में बृहस्पतिवार को कहा था कि वह नेपाल के साथ अपने दोस्ताना संबंधों को गहरी अहमियत देता है. भारत की कड़ी आपत्ति के बावजूद नेपाली संसद में शनिवार को नए मानचित्र पर मतदान संभव है, जिसमें लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा क्षेत्रों को नेपाल का हिस्सा दर्शाया गया है. भारत ने आपत्ति जताई है और बार-बार कहा है कि यह तीनों उसके हिस्से हैं.

भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा, “हमने इन विषयों पर अपनी स्थिति पहले ही स्पष्ट कर दी है. भारत नेपाल के साथ अपने सांस्कृतिक और दोस्ताना संबंधों को गहरी अहमियत देता है.” श्रीवास्तव ने कहा, “हमारी बहुआयामी द्विपक्षीय साझेदारी में हाल के वर्षों में विस्तार हुआ है और विविधता आई है. इसके साथ ही भारत की सहायता से मानवीय, विकास और संपर्क परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित किया गया है.”

बता दें कि देश के 275 सदस्यों वाले निचले सदन में विधेयक को पारित करने के लिये दो तिहाई बहुमत की आवश्यकता होती है। निचले सदन से पारित होने के बाद विधेयक को नेशनल असेंबली में भेजा जाएगा, जहां उसे एक बार फिर इसी प्रक्रिया से होकर गुजरना होगा। नेशनल असेंबली को विधेयक के प्रावधानों में संशोधन प्रस्ताव, अगर कोई हो तो, लाने के लिये सांसदों को 72 घंटे का वक्त देना होगा। नेशनल असेंबली से विधेयक के पारित होने के बाद इसे राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा, जिसके बाद इसे संविधान में शामिल किया जाएगा।संसद ने नौ जून को आम सहमति से इस विधेयक के प्रस्ताव पर विचार करने पर सहमति जताई थी जिससे नए नक्शे को मंजूर किये जाने का रास्ता साफ होगा।सरकार ने बुधवार को विशेषज्ञों की एक नौ सदस्यीय समिति बनाई थी जो इलाके से संबंधित ऐतिहासिक तथ्य और साक्ष्यों को जुटाएगी।

कूटनीतिज्ञों और विशेषज्ञों ने सरकार के इस कदम पर सवाल उठाते हुए हालांकि कहा कि नक्शे को जब मंत्रिमंडल ने पहले ही मंजूर कर जारी कर दिया है तो फिर विशेषज्ञों के इस कार्यबल का गठन किस लिये किया गया? भारत और नेपाल के बीच रिश्तों में उस वक्त तनाव दिखा जब रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने आठ मई को उत्तराखंड में लिपुलेख दर्रे को धारचुला से जोड़ने वाली रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण 80 किलोमीटर लंबी सड़क का उद्घाटन किया।