नई दिल्ली:
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना मुहम्मद फजल-उर-रहीम मुज्जदी ने एक बयान जारी कहा है कि देश में मुस्लिम पर्सनल लॉ की सुरक्षा और इसे प्रभावित करने वाले किसी भी कानून को रोकना बोर्ड के मुख्य उद्देश्यों में से एक है; बोर्ड शुरू से ही समान नागरिक संहिता (UCC) का विरोध करता रहा है, दुर्भाग्य से सरकार और सरकारी एजेंसियां इस मुद्दे को बार-बार उठाती हैं। इस सम्बन्ध में बोर्ड ने एक विस्तृत और तर्कसंगत जवाब दाखिल किया था, जिसमें संक्षेप में कहा गया था कि समान नागरिक संहिता संविधान की भावना के खिलाफ है और देश के हित में नहीं; बल्कि इससे नुकसान होने का डर है.

इस बारे में बोर्ड के एक प्रतिनिधिमंडल ने भी विधि आयोग के समक्ष अपनी दलीलें रखीं और काफी हद तक आयोग ने इसे स्वीकार कर लिया और यह एलान किया कि फिलहाल समान नागरिक संहिता की कोई जरूरत नहीं है; लेकिन दुर्भाग्य से सरकार ने 14 जून, 2023 को फिर से एक नोटिस जारी किया है, जिसमें समान नागरिक संहिता के संबंध में जनता से राय मांगी गई है और जवाब दाखिल करने का समय 14 जुलाई, 2023 तक निर्धारित किया गया है।

बयान में आगे कहा गया है कि बोर्ड इस संबंध में शुरू से ही सक्रिय है और आयोग को पत्र लिखकर इस बात पर नाराजगी जताई है कि इतने महत्वपूर्ण मुद्दे के लिए केवल एक माह की अवधि निर्धारित की गयी है; इसलिए इस अवधि को कम से कम 6 महीने तक बढ़ाया जाना चाहिए, इसके साथ ही बोर्ड ने अपना जवाब दाखिल करने के लिए देश के जाने-माने और विशेषज्ञ न्यायविदों से परामर्श कर एक विस्तृत जवाब भी तैयार किया है. जो लगभग एक सौ पृष्ठों का है, जिसमें समान नागरिक संहिता के सभी पहलुओं को स्पष्ट किया गया है और देश की एकता और लोकतांत्रिक ढांचे को होने वाले संभावित नुकसान को प्रस्तुत किया गया है, इसके अलावा विधि आयोग की वेबसाइट पर जवाब दाखिल करने और यूसीसी के खिलाफ अपनी बात रखने के लिए एक संक्षिप्त नोट तैयार किया गया है।

महासचिव ने अपने बयान में यह भी कहा कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का एक प्रतिनिधिमंडल, जिसमें सभी धार्मिक और राष्ट्रीय संगठनों के प्रमुख शामिल होंगे, जल्द ही विधि आयोग के अध्यक्ष से व्यक्तिगत रूप से मुलाकात करेंगे और स्थिति स्पष्ट करने का प्रयास करेंगे. इसके जिम्मेदरान विभिन्न अल्पसंख्यक प्रतिनिधियों, आदिवासी नेताओं, विपक्षी नेताओं, धर्मनिरपेक्ष विचारधारा वाले बहुसंख्यक संप्रदाय के राजनीतिक और सामाजिक नेताओं के साथ बैठकें भी कर रहे हैं और ये बैठकें सार्थक साबित हो रही हैं, उम्मीद है कि जल्द ही इन लोगों के साथ एक विशेष बैठक आयोजित की जाएगी और प्रेस कॉन्फ्रेंस होगी आयोजित, इसलिए, सभी लोगों से अनुरोध है कि वे भारतीय विधि आयोग को अंग्रेजी, हिंदी, उर्दू या अपनी स्थानीय भाषा में विधि आयोग के इस ईमेल पर एक ईमेल भेजें: (membersecretary-lci@gov.in): ”मैं समान नागरिक संहिता पर सख्त आपत्ति जताता हूं, यह हमारे देश की बहुलवादी संरचना और विविधता को कमजोर करेगा और यह संविधान में दी गई धार्मिक स्वतंत्रता के विपरीत होगा, इससे देश को कोई फायदा नहीं होगा, बल्कि राष्ट्रीय एकता को नुकसान होगा; इसलिए समान नागरिक संहिता बिल्कुल लागू नहीं की जानी चाहिए और संविधान के दिशानिर्देशों के अनुच्छेद 44 को हटा देना ही बेहतर है।

महासचिव ने कहा कि बोर्ड चाहता था कि कम से कम पाँच लाख आपत्तियाँ दायर की जाएँ; इसलिए, मुस्लिम संगठनों और संस्थानों के साथ-साथ सभी लोगों से अनुरोध अपील की जाती है कि वे पूरी मज़बूती के साथ अपनी आपत्तियां दर्ज करें और इसकी एक प्रति ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को इस ईमेल पते (aimplboard@gmail.com) पर भेजें। इसके अलावा लोगों से भी आपत्तियां दर्ज कराने का प्रयास करें और विभिन्न चरणों में बोर्ड द्वारा की गई अपीलों का पालन करें।