टीम इंस्टेंटखबर
मोदी सरकार अब लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाने की तैयारी कर रही है, इसके लिए सरकार मौजूदा कानूनों में संशोधन करेगी.

मौजूदा कानून के मुताबिक, देश में पुरुषों की विवाह की न्यूनतम उम्र 21 और महिलाओं की 18 साल है. अब सरकार बाल विवाह निषेध कानून, स्पेशल मैरिज एक्ट और हिंदू मैरिज एक्ट में संशोधन करेगी. नीति आयोग में जया जेटली की अध्यक्षता में बने टास्क फोर्स ने इसकी सिफारिश की थी.

टास्क फोर्स का गठन पिछले साल जून में किया गया था और पिछले साल दिसंबर में ही इसने अपनी रिपोर्ट दी थी. टास्क फोर्स का कहना था कि पहले बच्चे को जन्म देते समय बेटियों की उम्र 21 साल होनी चाहिए.

इंडियन क्रिश्चियन मैरिज एक्ट 1872, पारसी मैरिज एंड डिवोर्स एक्ट 1936, स्पेशल मैरिज एक्ट 1954, और हिन्दू मैरिज एक्ट 1955, सभी के अनुसार शादी करने के लिए लड़के की उम्र 21 वर्ष और लड़की की 18 वर्ष होनी चाहिए.

इसमें धर्म के हिसाब से कोई बदलाव या छूट नहीं दी गई है. फिलहाल बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 लागू है. जिसके मुताबिक़ 21 और 18 से पहले की शादी को बाल विवाह माना जाएगा. ऐसा करने और करवाने पर 2 साल की जेल और एक लाख तक का जुर्माना हो सकता है.

दरअसल, बेटियों की शादी की उम्र को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय ने एक याचिका दायर की थी. उन्होंने कहा था कि लड़कियों और लड़कों की शादी की उम्र का कानूनी अंतर खत्म किया जाए. इस याचिका पर जब केंद्र सरकार से जवाब मांगा गया तो केंद्र ने बताया था कि इस मामले पर एक टास्ट फोर्स का गठन किया गया है.