• कैनामाइसीन इंजेक्शन की जगह दी जाएगी बीडाकुलीन दवा
  • नौ से ग्यारह माह तक दवा खाने से ठीक होगी एमडीआर टीबी
  • टीबी इलाज को कम कष्टप्रद बनाने की दिशा में उठाया गया कदम

हमीरपुर
एमडीआर टीबी की चपेट में आकर नौ माह तक इंजेक्शन के दर्द से जूझने वाले मरीजों के लिए राहत भरी खबर है। अब ऐसे मरीजों को इस बीमारी से मुक्ति नई लांच की गई दवा ‘बीडाकुलीन’ से मिलेगी। बुधवार को ऐसे ही एक मरीज को दवा मुहैया कराई गई और उसे सेवन करने के तरीके बताए गए। अब से जिस भी मरीज में एमडीआर की पुष्टि होती है, उसे नौ से ग्यारह माह तक इसी दवा का सेवन करना होगा।

जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ.महेशचंद्रा ने बताया कि एमडीआर टीबी के मरीजों को रोजाना इंजेक्शन लगवाने से असहनीय पीड़ा होती है, इसलिए अब खाने वाली दवा से ही उपचार शुरू करने की तैयारी है। उन्होंने आगे बताया कि टीबी के उपचार को लगातार ज्यादा कारगर और कम कष्टप्रद बनाया जा रहा है। केंद्र सरकार 2025 तक देश को टीबी मुक्त करने के प्रयास में जुटा हुआ है। इसी कड़ी में इंजेक्शन के स्थान पर एमडीआर टीबी के ओरल उपचार के लिए बीडाकुलीन दवा लांच की गई है।

जिला कार्यक्रम समन्वयक (डीपीसी) राजेंद्र प्रसाद ने बताया कि वह आगरा से इसी कार्यक्रम का तीन दिन का प्रशिक्षण लेकर आए हैं, जो कि 25 से 27 अप्रैल तक चला था। अब वह जनपद में क्षय रोग विभाग के स्टाफ को ट्रेनिंग देंगे।

नौ से ग्यारह माह तक खानी होगी दवा
डीआर वार्ड के प्रभारी डॉ.आरएस प्रजापति ने बताया कि एमडीआर टीबी के मरीजों को अब तक लगातार चार माह तक कैनामाइसीन के इंजेक्शन लगवाने पड़ते थे, यह काफी पीड़ादायक होता है। इसके साथ 24 से 11 माह तक ओरल उपचार देना होता था। अब इंजेक्शन के स्थान एमडीआर टीबी के सभी मरीजों को शार्टर ओरल बीडाकुलीन दी जाएगी। नौ से ग्यारह माह तक दवा खाने के बाद मरीज पूरी तरह से ठीक हो जाएगा। पहले यह दवा केवल 18 वर्ष से अधिक आयु के मरीजों को दी जाती थी।

क्या है एमडीआर टीबी
0 मल्टी ड्रग रेजिस्टेंस टीबी (एमडीआर) में फर्स्ट लाइन ड्रग का टीबी के जीवाणु (माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस) पर कोई असर नहीं होता है। अगर टीबी का मरीज नियमित रूप से टीबी की दवाई नहीं लेता है या मरीज द्वारा जब गलत तरीके से टीबी की दवा ली जाती है या मरीज को गलत तरीके से दवा दी जाती है और या फिर टीबी का रोगी बीच में ही टीबी के कोर्स को छोड़ देता है (टीबी के मामले में अगर एक दिन भी दवा खानी छूट जाती है तब भी खतरा होता है) तो रोगी को मल्टी ड्रग रेजिस्टेंस टीबी हो सकती है।