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चारबाग के बाल संग्रहालय परिसर में चल रहे लखनऊ पुस्तक मेले में पुस्तक प्रेमियों की बहुत बड़ी पसंद महिला लेखकों और महिला विमर्श का साहित्य है। मेले बुक स्टॉलों पर साहित्यप्रेमियों की किताबों के लिए देर शाम तक खोजबीन व खरीदारी जारी रही। लोगों ने परिवार समेत बच्चों के लिए किताबें खरीदीं। पुस्तक मेले के मंच पर साहित्यिक सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन का दौर भी चलता रहा।

पुस्तक मेले में विभिन्न विषयों से इतर महिला विमर्श और उनके मुद्दों पर आधारित पुस्तकें साहित्यप्रेमियों के बीच चर्चा का केंद्र बनी हैं। उपन्यास, कहानी और विमर्श पर हिन्दी, उर्दू और इंग्लिश की किताबें भी लोगों को खूब लुभा रहीं हैं।

ऋषि पब्लिकेशन के स्टॉल पर चित्रा बनर्जी की लॉस्ट क्वीन, अभिनेत्री मनीषा कोइराला के कैंसर से उबरने पर लिखी गई पुस्तक नीलम कुमार की हेल्ड, रिक्विम इन रागा जानकी, बेनजीर भुट्टो की आपबीती महिला विमर्श की प्रमुख पुस्तकें हैं। वहीं राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के पास डॉ.मीनाक्षी स्वामी की अस्मिता की अग्निपरीक्षा, नीरा देसाई-उषा ठक्कर की वूमेन इन इंडियन सोसायटी व भारतीय समाज में महिलएं, ऋतु मेनन की वूमेन हू ड्रेड चर्चा का केंद्र बनी हैं। वाणी प्रकाशन के स्टॉल पर उमा चतुर्वेदी की स्त्री अध्ययन एक परिचय, राधा कुमार की स्त्री संघर्ष इतिहास, कमला प्रसाद के संपादन में स्त्री मुक्ति का सपना, केएम मालती की स्त्री विमर्श भारतीय परिप्रेक्ष्य में प्रमुख हैं।

बुकलैंड के स्टॉल पर शिवानी की पुस्तकें कालिंदी, मायापुरी, मधुयामिनी, बेनजीर की डिवोर्सी, मन्नू भंडारी की एक कहानी यह भी, रोमिला थापर की भारत में पब्लिक इंटेलैक्चुअल महिलाओं पर केंद्रित किताबें हैं। इसके अलावा सूचना प्रसारण मंत्रालय के प्रकाशन विभाग के स्टॉल पर भारत के नारी रत्न, वूमेन इन सत्याग्रह, कस्तूरी परिमल, रजिया सुल्तान, रानी लक्ष्मीबाई, सोबती की सोहबत में आदि किताबें हैं।

राजकमल प्रकाशन समूह के पास ममता जेतली की आधी आबादी का संघर्ष, ग्लोरिया सायनेम की वजूद औरत का, सुजाता की आलोचना का स्त्री पक्ष, राजेंद्र यादव की आदमी की निगाह में और कथा जगत की बागी मुस्लिम महिलाएं, जाहिदा हिना की पाकिस्तानी औरत, अजमाइश की आधी सदी, निवेदिता मेनन की नारीवादी निगाह से आदि पुस्तकें हैं। इसी तरह उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान की वीरांगनाओं और महिला कवयित्रियों पर पुस्तकें सुभद्रा कुमारी चौहान, महादेवी वर्मा, रानी लक्ष्मीबाई, 1857 की वीरांगनाएं आदि हैं।

चार पुस्तकों का विमोचन
शारदेय प्रकाशन व काव्या-सतत साहित्य यात्रा की ओर से पहले सत्र में शारदा लाल की अध्यक्षता व अलका प्रमोद के संचालन में चार पुस्तकों का विमोचन हुआ। जिसमें सीमा अग्रवाल की आहटों के अर्थ, निवेदिता श्री की यायावर आखर, अमिता मिश्रा की सुगंधा व उषा सोनी की बालसखा शामिल पुस्तक शामिल थीं। लेखकों के साथ रंजना गुप्ता, ओम नीरव, चंद्रशेखर वर्मा, ने पुस्तकों पर अपने विचार रखे। दूसरे सत्र में कानपुर की रचनाकार मधु प्रधान की अध्यक्षता व अखिलेश प्रधान के संचालन में शिवमंगल सुमन, अनिता श्रीवास्तव, विनीता मिश्रा, संध्या सिंह व निवेदिता श्री ने अपने काव्यपाठ से प्रभावित किया।

नाटकों से सशक्तिकरण का संदेश
विश्वम फाउंडेशन के संस्थापक यूपी त्रिपाठी के संयोजन में विश्वम महोत्सव के तहत विभिन्न प्रतियोगिताएं हुईं। जिसमें नवयुग कन्या महाविद्यालय, कृष्णा देवी गर्ल्स डिग्री कॉलेज और सरकारी प्राथमिक स्कूल के बच्चों ने नुक्कड़ नाटक और डांस में उत्साह दिखाया। स्वच्छ भारत, महिला सशक्तिकरण के विषयों पर आधारित नाटकों के जरिये लोगों को जागरुक किया गया। राष्ट्र निर्माण में युवाओं की भूमिका“ विषयक गोष्ठी में प्राचार्या नवयुग की प्रो.मंजुला उपाध्याय, बीएसएनवी पीजी कॉलेज के प्राचार्य प्रो.रमेश धर द्विवेदी और कालीचरण पीजी कॉलेज के प्राचार्य प्रो.चंद्रमोहन उपाध्याय ने विचार रखे।

जांचा गया मानसिक स्वास्थ्य
पुस्तक मेले में एमिटी यूनिवर्सिटी के डिपार्टमेंट ऑफ क्लीनिकल साइकोलॉजी की ओर से निशुल्क मानसिक चिकित्सा शिविर का आयेजन हुआ। सहायक प्रोफेसर अंशुमा दुबे के नेतृत्व में हुए शिविर में 53 व्यक्तियों का परीक्षण कर उचित परामर्श दिया गया। शिविर में विभाग की मोनल, विनायक, अतुल, स्नेहा, अदिति सहित 15 छात्र परामर्शदाता मौजूद थे।