गुजरात सरकार ने ‘लव जिहाद’ पर अंकुश लगाने के नाम पर जबरन धर्मातरण को रोकने के लिए गुरुवार को विधानसभा में ‘धर्म स्वातंत्र्य’ (धर्म की स्वतंत्रता) अधिनियम, 2003 में संशोधन करने के लिए एक विधेयक पेश किया, जो ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। इस बिल को लव जिहाद कानून के नाम से भी जाना जा रहा है। वहीं, कांग्रेस विधायक इमरान खेडावाला ने इस बिल का विरोध करते हुए सदन में बिल की प्रति को फाड़ दिया।

गुजरात सरकार के विधायी मामलों के मंत्री प्रदीप सिंह जडेजा ने गुरुवार को विधानसभा में विधेयक पेश किया। गुजरात फ्रीडम ऑफ रिलिजन एक्ट- 2003 के नाम से पेश बिल को लाने का कारण बताते हुए सरकार ने कहा कि सरकार ने पाया है कि धार्मिक परिवर्तन के लिए महिलाओं को शादी का लालच दिया जाता है। साथ ही बेहतर जीवन शैली, डिवाइन ब्लेसिंग के बहाने भी कई लोग धर्मातरण का काम करते थे। सरकार ने कहा कि इस बिल का उद्देश्य जबरन धर्मातरण को रोकना और ऐसा करने वालों को दंडित करना है।

नए विधेयक के प्रावधानों के अनुसार, राज्य में कोई भी विवाह का लालच देकर धर्मातरण करता हुआ पाया गया या किसी व्यक्ति की शादी करवाता है या किसी व्यक्ति की शादी करने में सहायता करता है, तो उसे कम से कम तीन साल और अधिकतम पांच साल जेल की सजा होगी। साथ ही उस पर 2 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया जाएगा। यदि विवाह में नाबालिग या अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति समुदाय से संबंधित महिला है, तो सजा न्यूनतम चार साल और अधिकतम सात साल होगी और 3 लाख रुपये का जुर्माना होगा। अगर कोई संस्था या संगठन ऐसी शादी के लिए जिम्मेदार पाया जाता है, तो उसे न्यूनतम तीन साल की कैद और 10 साल तक सजा दी जाएगी। साथ ही 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।

वहीं इस विधेयक का विरोध करते हुए कांग्रेस विधायक इमरान खेडावाला ने प्रस्तावित विधेयक की एक प्रति को फाड़ दिया। संशोधन विधेयक के प्रावधानों पर बात करते हुए, खेडावाला ने कहा, “गृह मंत्री प्रदीप सिंह जडेजा ने केवल उल्लेख किया है कि हिंदू समुदाय की बेटियों को एक विशिष्ट समुदाय के पुरुषों द्वारा टार्गेट किया जाता है। बेटियां, किसी भी धार्मिक समुदाय के साथ रहें, हमेशा हमारी बेटी रहेंगी। मेरे पास भी मुस्लिम लड़कियों की सौ से अधिक गवाही है जो दूसरे धर्म में शादी कर रही हैं। मैं मंत्री के शब्दों से बहुत आहत हूं।”