आरएसएस की गतिविधियों पर कुंवर सिंह निषाद ने उठाये सवाल, संघ प्रमुख को लिखा खुला पत्र
मथुरा:
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत को एक खुला पत्र लिखकर भारत की स्वतंत्रता, संविधान, राष्ट्रीय प्रतीकों, सामाजिक समरसता, और आरएसएस की गतिविधियों से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न उठाए हैं। यह पत्र कुंवर सिंह निषाद, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रवक्ता की ओर से जारी किया गया है। पत्र में कांग्रेस ने आरएसएस की विचारधारा और गतिविधियों पर तथ्य-आधारित और पारदर्शी संवाद की मांग की है, ताकि देशवासियों के मन में उठने वाले संदेहों का समाधान हो सके।
पत्र में उठाए गए प्रमुख प्रश्न निम्नलिखित हैं:स्वतंत्रता संग्राम में आरएसएस की भूमिका: पत्र में ऐतिहासिक दस्तावेजों का हवाला देते हुए पूछा गया है कि क्या स्वतंत्रता संग्राम के दौरान आरएसएस की प्राथमिकता “हिंदू राष्ट्र” की स्थापना थी, और यदि नहीं, तो इसके ठोस योगदान के दस्तावेजी प्रमाण क्या हैं?नाथूराम गोडसे और आरएसएस का वैचारिक संबंध: महात्मा गांधी की हत्या के लिए जिम्मेदार नाथूराम गोडसे के आरएसएस के साथ वैचारिक संबंधों पर स्पष्टीकरण मांगा गया है। साथ ही, क्या आरएसएस ने गोडसे के कृत्य की औपचारिक निंदा की?संविधान और राष्ट्रीय प्रतीकों के प्रति रुख: पत्र में संविधान की आलोचना और तिरंगे व राष्ट्रगान के प्रति आरएसएस के प्रारंभिक रुख पर सवाल उठाए गए हैं। साथ ही, संविधान में संशोधन की मांग को लेकर स्पष्टीकरण मांगा गया है।
हिंदू राष्ट्र और धर्मनिरपेक्षता: आरएसएस की “हिंदू राष्ट्र” की अवधारणा को भारत के संवैधानिक ढांचे और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों के साथ संगतता पर सवाल उठाए गए हैं।सामाजिक समरसता और आरक्षण: आरएसएस के सामाजिक समरसता के दावों, जाति व्यवस्था, और आरक्षण विरोधी रुख पर स्पष्टीकरण मांगा गया है। साथ ही, दलितों और वंचित समुदायों के उत्थान के लिए आरएसएस की ठोस पहलों के उदाहरण मांगे गए हैं।महिलाओं के अधिकार और सांप्रदायिक हिंसा: पत्र में महिलाओं के अधिकारों के प्रति आरएसएस की नीतियों और सांप्रदायिक हिंसा में कथित भूमिका पर सवाल उठाए गए हैं। साथ ही, वित्तीय पारदर्शिता और प्रशिक्षण शिविरों में नफरत फैलाने के आरोपों पर जवाब मांगा गया है।
कुंवर सिंह निषाद ने कहा, “भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का उद्देश्य भारत की एकता, अखंडता, और संवैधानिक मूल्यों को सशक्त करना है। हम मोहन भागवत से अपेक्षा करते हैं कि वे इन प्रश्नों का तथ्यपूर्ण और पारदर्शी जवाब देंगे, जिसमें विशिष्ट दस्तावेजी प्रमाण शामिल हों।”कांग्रेस ने इस पत्र को देशवासियों के समक्ष एक खुले संवाद का हिस्सा बनाया है, ताकि भारत के भविष्य को संवाद, सहिष्णुता, और सत्य के आधार पर मजबूत किया जा सके।