लखनऊ: भाकपा (माले) ने कानपुर के सरकारी शेल्टर होम मामले की स्वतंत्र व निष्पक्ष जांच की मांग की है। पार्टी ने कहा है कि इस प्रकरण में कानपुर जिला प्रशासन द्वारा दिया गया स्पष्टीकरण पर्याप्त और संतोषजनक नहीं है, बल्कि मुजफ्फरपुर और देवरिया शेल्टर होम मामलों की जांच के बाद सामने आए हिला देने वाले तथ्यों को ध्यान में रखते हुए कानपुर मामले की भी स्वतंत्र जांच जरूरी है।
पार्टी के राज्य सचिव सुधाकर यादव ने सोमवार को जारी बयान में कहा कि कानपुर शेल्टर होम में सात किशोरियों के गर्भवती होने, उनमें से एक के एड्स से संक्रमित होने और 57 के कोरोना पॉजिटिव होने की रिपोर्ट से योगी सरकार पुनः कटघरे में खड़ी दिखती है। आशंकाओं को परे कर तथ्यों को भरोसेमंद रूप से जनता के समक्ष लाने के लिए जांच आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि लगता है सरकार ने अतीत के मामलों (मुजफ्फरपुर व देवरिया) से कोई सबक नहीं लिया है। इन दोनों प्रकरणों के सामने आने के बाद सभी शेल्टर होमों की समयबद्ध ऑडिटिंग (जांच) कराने और निष्कर्षों को सार्वजनिक करने की मांग कई मंचों से उठी थी, पर समय बीतने के साथ ही इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।
राज्य सचिव ने कहा कि मीडिया रिपोर्ट से यह बात भी सामने आयी है कि कोविड-19 के मरीजों की तेजी से बढ़ रही संख्या के बीच कानपुर के उक्त शेल्टर होम में एक बेड पर तीन-चार किशोरियों को सोना पड़ता है। उन्होंने कहा कि सरकार एक तरफ तो सोशल डिस्टेंसिंग का निर्देश देती है, लेकिन बात जब अपने ही घर की हो, तो इस पर अमल करने में फेल नजर आती है। तभी तो इतनी तादाद में किशोरियां संक्रमित मिलीं। यह कोरोना वायरस से जनस्वास्थ्य के बचाव के प्रति सरकार की अगंभीरता को भी प्रदर्शित करता है।
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