नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को इस साल होने वाले भगवान जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा पर फिर से सुनवाई शुरू हुई। कोर्ट ने 18 जून को कोरोना महामारी की वजह से यात्रा पर रोक लगा दी थी जिसको लेकर पुनर्विचार याचिका दायर की गई। सुनवाई के दौरान दलील रखते हुए केंद्र सरकार ने कोर्ट से कहा है कि रथ यात्रा को कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर सार्वजनिक भागीदारी के बिना इस वर्ष आयोजित करने की अनुमति दी जा सकती है। केंद्र ने कहा कि सदियों की परंपरा को रोका नहीं जा सकता है। इसलिए बिना लोगों की भागीदारी के इसकी अनुमति दी जा सकती है।

कर्फ्यू लगाने का सुझाव
जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ मामले पर सुनवाई कर रही है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा है कि ये रथ यात्रा करोड़ों लोगों के लिए आस्था का विषय है। परंपरा के मुताबिक यदि भगवान जगन्नाथ मंगलवार (23 जून) को बाहर नहीं आएंगे, तो वे 12 साल तक बाहर नहीं आ सकते हैं। तुषार मेहता ने कहा कि राज्य सरकार इस दिन के लिए कर्फ्यू लगा सकती है। केंद्र के रुख का ओडिशा सरकार ने भी समर्थन किया है।

1736 के बाद से जारी है रथ यात्रा
वहीं, पुरी में भगवान जगन्नाथ की निकलने वाली रथ यात्रा को लेकर बनी अनिश्चितता के बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गजपति महाराजा दिब्यसिंह देब से बात की। राज्य भाजपा अध्यक्ष समीर मोहंती ने कहा कि शाह ने रथ यात्रा से जुड़े परंपराओं पर चर्चा की। यह यात्रा 1736 के बाद से जारी है।

कोर्ट ने कहा था, भगवान जगन्नाथ माफ नहीं करेंगे
ओडिशा में हर साल निकलने वाले पुरी रथ यात्रा में दुनिया भर के लाखों लोग शामिल होते हैं। यह यात्रा 23 जून से निर्धारित है जिस पर 18 जून को कोर्ट ने कोविड के मद्देनजर स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए रोक लगा दिया था। कोर्ट ने कहा था कि यदि इस महामारी के बीच यात्रा की अनुमति दी जाती है तो भगवान जगन्नाथ माफ नहीं करेंगे।