टीम इंस्टेंटखबर
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के अध्यक्ष जीतन राम मांझी शनिवार को पटना में भुइयां मुसहर सम्मेलन में धर्म के नाम पर हो रही राजनीति का मुद्दा उठाया और इसी दौरान उन्होंने पंडितों के लिए अमर्यादित शब्द का प्रयोग किया।

भुइयां मुसहर सम्मेलन में जीतन राम मांझी ने कहा कि ‘आजकल गरीब तबके के लोगों में धर्म की परायणता ज्यादा आ रही है। सत्यनारायण भगवान की पूजा का नाम हम लोग नहीं जानते थे।…… अब हर टोला में हम लोगों के यहां सत्यनारायण भगवान की पूजा होती है। इतना भी शर्म लाज नहीं लगता है कि पंडित। …. आते हैं और कहते हैं कि कुछ नहीं खाएंगे आपके यहां…बस कुछ नगद दे दीजिए।’

विवाद बढ़ने पर जीतन राम मांझी ने कहा कि उन्होंने ब्राह्मणों को नहीं बल्कि अपने समाज के लोगों के लिए गाली का इस्तेमाल किए था। उन्होंने माफी मांगते हुए कहा है कि उन्होंने ब्राह्मणों के लिए कोई अपशब्द नहीं कहा। अगर ब्राह्मण समाज को मेरे बयान से ठेस पहुंची है तो मैं माफी मांगता हूं।

उन्होंने कहा कि उस शब्द का प्रयोग उन्होंने अपने समाज के लोगों के लिए किया था कि हमारे समाज के लोग ऐसे लोगों से पूजा करा रहे हैं जो हमारे यहां खाना खाने तक पसंद तक नहीं करते हैं।

मांझी ने मैंने अपने समुदाय के लोगों से कहा है कि आज आस्था के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च किए जाते हैं लेकिन गरीबों का कल्याण नहीं हो रहा है। पहले एससी लोग पूजा में विश्वास नहीं करते थे लेकिन अब पंडित उनके घर आते हैं, खाने से मना करते हैं लेकिन पैसे लेते हैं।