इस्लामाबाद: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान के हालात के लिए पाकिस्तान को ज़िम्मेदार क़रार देना सही नहीं है और अगर उन्हें शांति में रुचि न होती तो वे काबुल क्यों जाते?

इमरान ख़ान ने कहा है कि किसी भी देश ने अफ़ग़ान तालेबान को वार्ता की मेज़ पर लाने के लिए पाकिस्तान से ज़्यादा कोशिश नहीं की है और अफ़गानिस्तान में जो कुछ हो रहा है उसका आरोप पाकिस्तान पर लगाना बेहद नाइन्साफ़ी है। उज़बेकिस्तान की राजधानी ताशकंद में मध्य और दक्षिण एशियाई देशों के मध्य संबंधों को मज़बूत बनाने के लिए कांफ्रेन्स आयोजित हुई जिसमें इमरान ख़ान ने अफ़गानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ़ ग़नी की इस देश के संबंध में पाकिस्तान की नकारात्मक भूमिका का जवाब देते हुए कहा कि मैं आपको बताना चाहता हूं कि अफ़ग़ानिस्तान में गड़बड़ से जो देश सबसे अधिक प्रभावित होगा वह पाकिस्तान है।

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने गत 15 वर्षों में 70 हज़ार जानों का नुक़सान उठाया है, विवाद में वृद्धि वह सबसे आखिरी चीज़ होगी जो पाकिस्तान चाहेगा। उन्होंने कहा कि मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि तालेबान को वार्ता की मेज़ पर लाने के लिए किसी भी देश ने पाकिस्तान से अधिक कोशिश नहीं की है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं काबुल गया था मुझे शांति में रूचि न होती तो काबुल क्यों जाता?

दूसरी ओर पाकिस्तान अफ़गान शांति प्रक्रिया को आगे ले जाने के लिए अपनी मेज़बानी में कांफ्रेन्स आयोजित कराने का प्रयास कर रहा है। पाकिस्तान के विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता ने घोषणा की है कि इस्लामाबाद 17 से 19 जुलाई तक “अफ़ग़ान शांति” कांफ्रेन्स की मेज़बानी करेगा।

ज़ाहिद हफ़ीज़ चौधरी ने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान के अनेक नेताओं को इस कांफ्रेन्स में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया है और इन लोगों ने भी इस कांफ्रेन्स में भाग लेने हेतु अपनी तत्परता की घोषणा कर दी है। पाकिस्तान के विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता ने बल देकर कहा है कि मेरा मानना है कि अफ़गान समस्या का समाधान केवल वार्ता और अफ़ग़ानों द्वारा फैसला लेने से होगा।