कुशीनगर के तुमकुहीराज में नारायणी नदी का शांत तट उत्साह और नवोन्मेष के माहौल में तब्दील हो गया जब इन-स्पेस मॉडल रॉकेट्री और कैनसैट इंडिया छात्र प्रतियोगिता 2024-25 का शुभारंभ हुआ। देश भर के 70 संस्थानों के 600 से अधिक छात्र चार दिनों तक वास्तविक दुनिया के रॉकेट्री, इंजीनियरिंग और प्रेरणा का अनुभव करने के लिए यहां इकट्ठा हुए, ऐसे में कुशीनगर अंतरिक्ष उद्यमियों की अगली पीढ़ी के लिए भारत के नए लॉन्चपैड के रूप में उभरने के लिए तैयार है।

उद्घाटन के बाद, कैनसैट लॉन्च खंड उत्साह और उत्सुकता से भर गया क्योंकि चार टीमें अपने उपग्रह पेलोड और लॉन्च व्हीकल का परीक्षण करने के लिए तैयार थीं। हरेक छात्र-निर्मित कैनसैट, जो लगभग 1 किलोग्राम वज़न का लघु उपग्रह है, उसे थ्रस्ट टेक द्वारा डिज़ाइन किए गए मॉडल रॉकेट में जोड़ा गया था ताकि वह सुरक्षित रूप से तैनात होने और अपने पेलोड को पुनः प्राप्त करने से पहले 1 किमी की ऊंचाई तक पहुंच सके।

सावधानीपूर्वक सेटअप और उलटी गिनती की जांच के बाद, चार लॉन्चरों ने लगभग पूर्ण क्रम में सफलतापूर्वक उड़ान भरी, हरेक का प्रदर्शन वास्तविक मिशन मापदंडों को बारीकी से दर्शाता था। जैसे-जैसे रॉकेट ऊपर उठे, टेलीमेट्री फीड्स ने ऊंचाई, दबाव, तापमान और वेग पर वास्तविक समय के आधार पर डेटा स्ट्रीम किया; जबकि सेंसर ने पिच, यॉ और रोल दरों को दर्ज किया ताकि छात्रों को डिसेंट (अवतरण) पैटर्न और मिशन स्थिरता का विश्लेषण करने में मदद मिल सके, जिससे कक्षा-से-आकाश के बारे में जानने का वास्तविक अनुभव प्रदान किया जा सके।

इन-स्पेस, इसरो और एस्ट्रोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया (एएसआई) के वरिष्ठ वैज्ञानिक और निर्णायक मंडल यहां मौजूद थे, लॉन्च की देखरेख कर रहे थे और प्रदर्शन, डेटा सत्यापन और डिज़ाइन नवोन्मेष के बारे में डीब्रीफिंग के ज़रिये छात्रों के साथ जुड़ रहे थे।

इन-स्पेस के प्रचार निदेशालय के निदेशक और एएसआई के कार्यकारी सचिव, डॉ. विनोद कुमार ने दिन की सफलता पर अपनी टिप्पणी में कहा, “आज हमने जो देखा वह भारत के अंतरिक्ष भविष्य की चिंगारी है। ये युवा अन्वेषक केवल रॉकेटरी सीख ही नहीं रहे हैं, बल्कि उसे जी भी रहे हैं। इस प्रतियोगिता के ज़रिये, हम उन्हें वह मानसिकता, अनुशासन और आत्मविश्वास विकसित करने में मदद कर रहे हैं जो भारत के बढ़ते अंतरिक्ष परितंत्र को परिभाषित करता है।”