नई दिल्ली: विशेषज्ञों से चर्चा की कड़ी में राहुल गाँधी ने आज मेडिकल एक्सपर्ट्स से बात की | बुधवार को राहुल गांधी ने हावर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर आशीष झा और स्वीडन के प्रोफेसर जोहान से बात की। ये बातचीत राहुल गांधी की कोरोना संकट श्रृंखला की तीसरी कड़ी का आधार है।

राहुल गांधी ने डॉ आशीष झा से कोरोना वायरस लॉकडाउन पर क्या विचार, इससे मनोविज्ञान पर क्या फर्क पड़ता है और ये लोगों के लिए कितना मुश्किल है जैसे सवाल किए।

इन सवालों के जवाब में हार्वर्ड में स्वास्थ्य विशेषज्ञ आशीष झा ने कहा कि लॉकडाउन के बाद अब जब अर्थव्यवस्था खुल गई है, आपको भरोसा पैदा करना होगा। उन्होंने कहा कि कोविड-19 से 2021 से पहले छुटकारा नहीं मिलने वाला।

आशीष झा ने राहुल गांधी से कहा कि अधिक जोखिम वाले क्षेत्रों में बहुत तेजी से जांच करने की रणनीति की आवश्यकता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ झा ने कहा कि हम बड़ी वैश्विक महामारियों के दौर में प्रवेश कर रहे हैं, हम जो वैश्विक महामारी देख रहे हैं, वह आखिरी नहीं है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञ ने राहुल गांधी से कहा कि कोविड-19 के बाद जीवन बदल जाएगा।

इस दौरान राहुल ने पूछा कि ‘ ये बताइए कि वैक्सीन कब आएगी?’ इसके जवाब में झा ने कहा कि मुझे पूरा विश्वास है कि अगले साल तक वैक्सीन आ जाएगी।

प्रोफेसर झा ने गांधी के उस सवाल का जवाब दिया जिसमें उसने पूछा गया था कि क्या गर्मी में कोरोना वायरस खत्म हो जाएगा? इसके जवाब में प्रोफेसर झा ने बताया कि कई सबूत ऐसे हैं, जिनके अनुसार कोरोना वायरस की रफ्तार पर मौसम का फर्क पड़ता है। हालांकि, ये भी नहीं कहा जा सकता कि गर्मी का मौसम पूरी तरह से कोरोना वायरस को खत्म कर देगा।

स्वीडन के ‘कोरोलिंस्का इंस्टीट्यूट’ के प्रोफेसर एमिरेटस जोहान गिसेक ने भी इस वायरस के अगले कई महीनों तक मौजूद रहने का अंदेशा जताया, हालांकि यह भी कहा कि यह एक ‘मामूली बीमारी’ है जो 99 फीसदी लोगों के लिए घातक नहीं है। भारत में लॉकडाउन से जुड़े सवाल पर गिसेक ने कहा, ‘‘भारत में सख्त लॉकडाउन अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर देगा। लॉकडाउन में लचीलेपन की जरूरत है।’’ उनके मुताबिक लॉकडाउन को चरणबद्ध तरीके से खोलना चाहिए। पहले कुछ पाबंदियां हटाई जाए। अगर संक्रमण ज्यादा फैलता है तो फिर एक कदम पीछे खींचे लीजिए। बुजुर्गों और गंभीर बीमारियों से ग्रस्त लोगों का ध्यान रखा जाए।