देश के दिग्गज प्राइवेट बैंक एचडीएफसी बैंक (HDFC Bank) ने अपने ऑटो लोन विभाग की ओर से बांटे गए कर्जों में अनियमितता को लेकर जांच की है।ब्लूमबर्ग ने मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों के हवाले से अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इस मामले में यूनिट के पूर्व हेड की भूमिका की भी जांच की जा रही है। मार्केट कैपिटलाइजेशन के लिहाज से देश के सबसे बड़े बैंक एचडीएफसी ने इस मामले के चलते ऑटो लोन यूनिट के पूर्व हेड अशोक खन्ना (ashok khanna) के कार्यकाल को भी नहीं बढ़ाया है। जांच रिपोर्ट आने के बाद खन्ना को लेकर यह फैसला लिया गया, उससे पहले उनके कार्यकाल को बढ़ाने के प्रस्ताव पर विचार चल रहा था।

सूत्रों के मुताबिक 31 मार्च, 2020 एचडीएफसी बैंक की वीकल फाइनेंसिंग यूनिट का 1.2 लाख करोड़ रुपये ग्राहकों पर लोन के तौर पर बकाया है। मैनेजमेंट इस बात पर विचार कर रहा था कि खन्ना को 6 महीने के लिए कार्यकाल विस्तार दे दिया जाए ताकि बैंक में नेतृत्व के मामले में स्थिरता बनी रहे। मैनेजिंग डायरेक्टर आदित्य पुरी (aditya puri) भी जल्द रिटायर होने वाले हैं। लेकिन जांच के बाद खन्ना को एक्सटेंशन न देने का फैसला लिया गया और उन्हें मार्च में ही तय तारीख पर रिटायरमेंट दे दिया गया।

जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया है, लेकिन यह कहा जा रहा है कि बैंक की इंटर्नल ऑडिट रिपोर्ट (internal audit report) में जो आशंकाएं जताई गई थीं, रिपोर्ट में उन पर सहमति जताई गई है। बता दें कि एचडीएफसी बैंक इन दिनों नेतृत्व परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। 26 सालों तक बैंक का नेतृत्व करने वाले आदित्य पुरी अक्टूबर में रिटायर होने वाले हैं। भारतीय रिजर्व बैंक ने अब किसी भी बैंक के सीईओ के लिए 70 साल की आयु सीमा तय कर दी है। इसके चलते आदित्य पुरी को अब पद छोड़ना होगा।