हमीरपुर
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत मातृ-शिशु मृत्यु दर को कमी लाने के उद्देश्य से शुरू हुए 21 दिवसीय स्किल बर्थ अटेंडेंट (एसबीए) प्रशिक्षण का जिला महिला अस्पताल में समापन हो गया। पांच दिनों तक थ्योरी सीखने वाले स्वास्थ्य कर्मियों को 16 दिनों तक प्रथम संदर्भन इकाई (एफआरयू) में प्रसव के दौरान उत्पन्न होने वाली जटिलताओं से निपटने के गुर सिखाए गए। प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मियों को प्रमाण पत्र प्रदान किया गया ।

प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन पर जिला महिला अस्पताल की मुख्य चिकित्सा अधीक्षिका डॉ. फौजिया अंजुम नोमानी ने बताया कि इस प्रशिक्षण का उद्देश्य मातृ-शिशु मृत्यु दर को न्यूनतम स्तर पर ले जाना है। जटिल गर्भावस्था की समय से पहचान कर ऐसी गर्भवती का सुरक्षित तरीके से प्रसव कराना है। उन्होंने बताया कि सोलह दिनों तक जिला महिला अस्पताल में 18 और मौदहा सीएचसी में 12 स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को सुरक्षित प्रसव के विषय में प्रशिक्षित किया गया। कुल 30 स्वास्थ्य कर्मी प्रशिक्षित हुए हैं जो अपने-अपने तैनाती स्थल पर प्रशिक्षण में मिली जानकारी का प्रयोग करेंगे।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कार्यक्रम के जिला कार्यक्रम प्रबंधक सुरेंद्र साहू ने कहा कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में चुनौतियां बहुत हैं। प्रसव कार्य से जुड़े स्वास्थ्य कर्मियों को सजग होकर अपनी जिम्मेदारी को निभाना है ताकि मातृ-शिशु मृत्यु दर को कम किया जा सके। लिंग परीक्षण और भ्रूण हत्या कानूनन अपराध है, इस बारे में लोगों को जागरूक करें।

प्रथम चरण में 30 एएनएम, स्टाफ नर्स और आयुष महिला चिकित्सकों को प्रशिक्षित किया गया है। इसमें 18 स्वास्थ्य कर्मी जिला महिला अस्पताल और 12 मौदहा सीएचसी में प्रशिक्षित किए गए। महिला अस्पताल में सीएमएस डॉ.फौजिया अंजुम, डॉ.आशा सचान, क्वालिटी इम्प्रूवमेंट मेंटर आकांक्षा यादव, नर्स मेंटर कोमल ने प्रशिक्षण दिया। मौदहा में डॉ.नेहारानी, डॉ.दीपिका पाल, डॉ.संदीप ने सभी को प्रशिक्षित किया। इन सभी को प्रसव के दौरान उत्पन्न होने वाली जटिलताओं की जानकारी दी गई और इससे बचाव के तरीके बताए गए। गर्भावस्था से लेकर प्रसव तक आने वाली गंभीर स्थितियों के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी गई। समापन के दिन जिला मातृ स्वास्थ्य परामर्शदाता दीपक यादव भी मौजूद रहे।