हमीरपुर: कोरोना की वजह से बंद चल रहे राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की शुरुआत हो गई है। दस दिन के अंदर आरबीएसके की टीमों ने जनपद के आठ ऐसे बच्चे चिन्हित किए हैं, जो जन्मजात दोषों से ग्रसित हैं। इन सभी बच्चों को उपचार के लिए कानपुर, झांसी और बांदा रेफर किया गया है। जल्द ही इन मासूम बच्चों को जन्मजात दोषों से मुक्ति मिल जाएगी।
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ.आरके यादव ने बताया कि कोरोना की वजह से अभी इस कार्यक्रम पर रोक लगी हुई थी। अब इसे शुरू कर दिया गया है। दस दिन के अंदर आरबीएसके की टीमों ने कुल आठ ऐसे बच्चे चिन्हित किए हैं, जो कि जन्मजात दोषों से ग्रसित हैं। इन सभी बच्चों को उपचार के लिए अलग-अलग जनपदों के अस्पतालों को रेफर किया गया है, जहां इनका नि:शुल्क उपचार होगा। जल्द ही बच्चों को जन्मजात दोषों से मुक्ति मिल जाएगी।
आरबीएसके के डीईआईसी मैनेजर गौरीश राज पाल ने बताया कि जिन बच्चों को चिन्हित किया गया है उनमें मौदहा निवासी राकेश की चार माह की पुत्री के होंठ और तालू, मुस्करा के पहाड़ी भिटारी के रमाकांत का चार माह के पुत्र के होंठ और गहरौली गांव की नीशू के तीन माह के बच्चे के जन्मजात होंठ कटे हुए हैं। इसी तरह मौदहा निवासी सितारा के एक माह के पुत्र अरबाज, सुमेरपुर के जीतेंद्र के एक माह के बच्चे और सरीला ब्लाक के जिटकिरी गांव की हसीना के एक माह के पुत्र अर्श को क्लब फुट (टेढ़े पैर) की शिकायत है। मौदहा ब्लाक के भमौरा गांव के असलम अली और इसी गांव के बलवीर के एक-एक माह के बच्चे न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट के शिकार हैं। उन्होंने बताया कि कटे होंठ और तालू की सर्जरी कानपुर के न्यू लीलामणि हॉस्पिटल सिविल लाइन्स, क्लब फुट का उपचार बांदा में और न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट के शिकार बच्चों को झांसी मेडिकल कॉलेज में नि:शुल्क उपचार कराया जाएगा।
क्या है आरबीएसके
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम शून्य से 19 साल तक के बच्चों के इलाज के लिए काम करता है। चार डी यानी चार तरह के विकार (डिफेक्ट) सहित कुल 40 बीमारियों के लिए परामर्श के साथ इलाज एकदम मुफ्त होता है। इसमें हृदय रोग, जन्मजात बहरापन, मोतियाबिंद, कटे होंठ-तालू, टेढ़े पैर, एनीमिया, दांत टेढ़े-मेढ़े होना, बिहैवियर डिसआर्डर, लर्निंग डिसआर्डर, डाउन सिंड्रोम, हाइड्रो सिफलिस, न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट आदि बीमारियां प्रमुख हैं। आरबीएसके इन बीमारियों से चिन्हित बच्चों का नि:शुल्क इलाज, ऑपरेशन, प्राथमिक, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और जिला अस्पताल, मेडिकल कॉलेज व उच्चतम इलाज के लिए कानपुर, झांसी, अलीगढ़ और बांदा में कराता है।
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