दिल्ली:
राजस्थान कांग्रेस से उठा सियासी संकट कांग्रेस अध्यक्ष पद पर गहलोत के चुनाव नहीं लड़ने और सोनिया गांधी से लिखित माफी मांगने पर खत्म हुआ. हालांकि राजस्थान की कमान किसने हाथों में रहेगी इसको लेकर अभी भी संशय बना हुआ है. सोनिया से मुलाकात के बाद गहलोत ने सीएम पद का फैसला आलाकमान पर छोड़ दिया है. मुख्यमंत्री पद पर बने रहने के सवाल पर गहलोत ने कहा कि यह उनके हाथ में नहीं, इस पर फैसला सोनिया गांधी ही करेंगी.

वहीं, बीते रविवार को राजस्थान में हुए सियासी घटनाक्रम और विधायकों की आलाकमान को आंख दिखाने पर सोनिया से मुलाकात कर गहलोत ने कहा कि राजस्थान में जो घटना हुई उसने हर किसी को हिला कर रख दिया और वह अपनी नैतिक जिम्मेदारी को निभाने में विफल रहे.

गहलोत ने सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद कहा कि, मैं पिछले 50 सालों से कांग्रेस का वफादार सिपाही रहा हूं, जो घटना रविवार को हुई उसने हम सबको हिलाकर रख दिया है. मुझे कितना दुख है वह मैं ही जान सकता हूं. उन्होंने कहा कि पूरे देश में यह संदेश चला गया कि मैं मुख्यमंत्री बने रहना चाहता हूं इसलिए यह सब किया जा रहा है.

वहीं गहलोत ने माना कि रविवार को जयपुर में जो कुछ हुआ वह उनकी विफलता है और नैतिक रूप से इसकी जिम्मेदारी लेते हुए कहा कि हमारी परंपरा है कि एक लाइन का प्रस्ताव पारित किया जाता है लेकिन दुर्भाग्य से ऐसी स्थिति बन गई कि प्रस्ताव पारित नहीं पाया. मैं मुख्यमंत्री हूं और विधायक दल का नेता हूं, इस बात का दुख मुझे हमेशा रहेगा.

गहलोत के विधायक दल की बैठक के रद्द होने की नैतिक जिम्मेदारी लेने के बाद अब यह सवाल उठता है कि क्या भविष्य में वह विधायक दल की बैठक के लिए अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करेंगे. इसके अलावा राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि सचिन पायलट के विरोध में गहलोत ने जो दांव खेला उसमें वह वह खुद ही फंसते दिख रहे हैं और आलाकमान से माफी मांगना उसका पहला चरण था.