लखनऊ: भाकपा (माले) की राज्य इकाई ने यूएपीए के तहत झूठे आरोपों में गिरफ्तार जाने-माने मानवाधिकार कार्यकर्ता फादर स्टेन स्वामी की सोमवार को कैद में हुई मौत को सांस्थानिक हत्या बताते हुए कड़ी निंदा की है। पार्टी ने आदिवासियों के अधिकार के लिए आजीवन संघर्षरत फादर की मौत पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि उनकी शहादत व्यर्थ नहीं जाएगी।

भाकपा (माले) के राज्य सचिव सुधाकर यादव ने कहा कि महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव (एलगार परिषद) मुकदमे में हिंसा भड़काने व आतंकवाद फैलाने के झूठे आरोपों में पिछले साल झारखंड के रांची से गिरफ्तार किये गये 84-वर्षीय स्वामी की जमानत याचिकाओं को केंद्र की सरकार के विरोध के चलते बार-बार खारिज किया गया। उन्होंने कहा कि बीमार व वयोवृद्ध कार्यकर्ता को जमानत न दिया जाना प्राकृतिक न्याय व कानून के शासन पर बेशर्म फासीवादी हमला है।

माले नेता ने कहा कि दिल्ली दंगा मामले में फर्जी रूप से यूएपीए के तहत फंसाई गई और तब तिहाड़ में बंद ‘पिंजरा तोड़’ की महिला अधिकार कार्यकर्ता नताशा नारवाल को जमानत तब मिली जब उनके बीमार पिता की मौत हो चुकी थी। क्या स्वामी मामले में भी अदालत उन्हें मरणोपरांत जमानत देने जा रही है?

कामरेड सुधाकर ने कहा कि फादर के मरणोपरांत उन्हें न्याय दिलाने का संघर्ष जारी रहेगा। उनकी शहादत सभी राजनीतिक बंदियों की रिहाई और यूएपीए जैसे कठोर कानूनों के खात्मे के लिए चलने वाले संघर्षों को प्रेरित करती रहेगी। माले नेता ने कहा कि वंचितों को न्याय दिलाने की स्वामी की लड़ाई, उनकी सादगी, साहस और समर्पण को हमेशा याद रखा जाएगा।