नई दिल्ली: तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर साढ़े तीन महीने से आंदोलनरत किसान अब अपनी लड़ाई को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी मजबूती से लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। इस तैयारी का उद्देश्य आंदोलन को सोशल मीडिया पर मजबूत कर अधिक से अधिक लोगों तक अपनी बात पहुंचाना है।

मंगलवार को किसान आंदोलन स्थल पर इस मुद्दे पर चर्चा की गई, वहीं एक सूची भी तैयार की गई है जिसके तहत इस काम के लिए जरूरी सामानों के अलावा लोगों को इसकी जिम्मेदारी सौंपी जाए या नहीं, इस पर भी मंथन हुआ। सोशल मीडिया मैनेजर, वीडियो एडीटर, डिजिटल कंटेंट को मॉनिटर करने के अलावा प्रोग्रामिंग, बूस्टिंग आदि के जरूरी लोगों की एक सूची तैयार हुई है। इसके अलावा कुछ टेक्निकल सामान मंगाने पर भी चर्चा की गई।

गाजीपुर बॉर्डर पर यह तय करने की कोशिश भी की जा रही है कि किस वक्त, कौन सा कंटेंट डाला जाए, ताकि उसे सही समय पर बूस्ट कर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सके और आंदोलन को मजबूत किया जा सके। मतलब बॉर्डर पर किसान आंदोलन को डिजिटली लोगों तक पहुंचाने के लिए किसान कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते, जिसके चलते आने वाले समय में इसके लिए लोगों को रखा भी जा सकता है।

हालांकि भारतीय किसान यूनियन के मीडिया प्रभारी ने इस पर जानकारी देते हुए कहा कि, “लाखों लोग आंदोलन स्थल पर पहुंचे और अपने नम्बर साझा करके गए हैं । ऐसे में जो राकेश टिकैत से सीधे जुड़ना चाहते हैं, उन तक आंदोलन की एक खबर कैसे पहुंचाई जाए, यह सवाल खड़ा हो गया। ऐसे में तय हुआ कि जो व्यक्ति फेसबुक, ट्वीटर, यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया चलाना पसन्द करता है, उसको सारी जानकारी उसी माध्यम से दी जाए और आंदोलन को और मजबूत किया जाए।”

किसान नेता ने बताया, “इसके अलावा इस बैठक में ये चर्चा हुई कि सिंघु, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर के मीडिया प्लेटफॉर्म को कैसे आपस मे लिंक किया जाए। सुबह के वक्त हैशटैग चलता है, इसी तरह हर बॉर्डर से कुछ न कुछ चले और उसका आपस में कॉर्डिनेशन कैसे बनाया जाए, जिससे इस पूरे मूवमेंट की बात जन-जन तक पहुंचे। इसको लेकर एक छोटी सी बैठक थी कि वॉलेंटियर सर्विस कैसे बढ़ाई जाए, कितने लोगों की आवश्यकता है।”

बता दें कि केंद्र द्वारा तीन नए अधिनियमित कृषि कानूनों के खिलाफ किसान पिछले साल 26 नवंबर से राष्ट्रीय राजधानी की विभिन्न सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। किसान मोदी सरकार के किसान उत्पाद व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम-2020, मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अधिनियम-2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम-2020 पर किसान सशक्तिकरण और संरक्षण समझौता कानूनों का विरोध कर रहे हैं।