दिल्ली:
कांग्रेस पार्टी ने निर्वाचन आयोग को रेवड़ी कल्चर वाले मामले पर अपना सुझाव दिया है. कांग्रेस ने कहा कि चुनाव आयोग का ऐसा कोई अधिकार नहीं बनता कि वो इस तरह के मुद्दों को रेगुलेट करे. कांग्रेस ने कहा कि चुनाव आयोग को ऐसा करने से बचना चाहिए. कांग्रेस की तरफ से चुनाव आयोग को भेजी गई चिट्ठी में कहा गया है कि घोषणापत्र में लिखे गए चुनावी वादे एक ऐसा तरीका है जो किसी पार्टी की विचारधारा को सबसे अच्छी तरह से दर्शाता है.
कांग्रेस प्रवक्ता जयराम रमेश ने चुनाव आयोग को पार्टी की तरफ से भेजे जवाब में कहा है कि अजीब तरह के वादे एक्सपायरी डेट्स के साथ आते हैं. रमेश ने कहा कि चुनावी वादे एक वायब्रेंट यानी जीवंत लोकतंत्र का हिस्सा हैं. उन्होंने कहा कि ‘वे राजनीति के लेन-देन के जोर से संबंधित हैं.’ कांग्रेस नेता का मानना है कि चुनावी वादों से मतदाता यह डिसाइड करने में सक्षम हो पाते हैं कि आखिर वे किसकों मतदान करें. इससे मतदाता अच्छे बुरे वादों के बारे में तय कर पाते हैं और इससे वे अपना विश्लेषण कर पाते हैं.
मुफ्त रेवड़ी कल्चर पर बहस के बाद चुनाव आयोग से इसपर रोक लगाने के लिए कदम उठाने की मांग की गई थी. इसके बाद आयोग ने कांग्रेस समेत सभी बड़े राजनीतिक दलों को एक चिट्ठी भेजा था और मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट या एमसीसी में बदलाव के प्रस्ताव पर सुझाव मांगा था. चुनाव आयोग अगर इसे रेगुलेट करने का फैसला करता है तो चुनावी वादे करने वाली पार्टियों को अपने घोषणापत्र में अपने वादों पर एक वित्तीय खाका पेश करने के लिए कहा जा सकता है.
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