नई दिल्ली: सरकारी कंट्रोल के सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण पर लगातार उठते सवालों के बीच प्रधानमंत्री ने बार फिर साफ़ किया है कि सरकार निजीकरण के पक्ष में है क्योंकि बिजनेस करना सरकार का काम नहीं|

निजीकरण के लिए सरकार प्रतिबद्ध
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गैर-रणनीतिक सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण का जोरदार तरीके से समर्थन करते हुए बुधवार को कहा उनकी सरकार रणनीतिक क्षेत्रों में कुछ सार्वजनिक उपक्रमों को छोड़कर बाकी क्षेत्रों में सरकारी इकाइयों का निजीकरण करने को प्रतिबद्ध है।

घाटे वाले उपक्रमों को चलना taxpayers के पैसों की बर्बादी
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि घाटे वाले उपक्रमों को करदाताओं के पैसे के माध्यम से चलाने से संसाधन बेकार होते हैं। इन संसाधनों का उपयोग जन कल्याण योजनाओं पर किया जा सकता है। मोदी ने सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों पर आयोजित वेबिनार में कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों की कम इस्तेमाल या बिना इस्तेमाल वाली संपत्तियों का मौद्रिकरण किया जाएगा। इनमें तेल एवं गैस और बिजली क्षेत्र की संपत्तियां हैं। इनके मौद्रिकरण से 2.5 लाख करोड़ रुपये के निवेश के अवसर पैदा होंगे।

स्वामित्व रखना ज़रूरी नहीं
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘उपक्रमों और कंपनियों को समर्थन देना सरकार का कर्तव्य है। लेकिन यह जरूरी नहीं है कि सरकार इन कंपनियों का स्वामित्व रखे और इन्हें चलाए।’’ मोदी ने आगे कहा कि निजी क्षेत्र अपने साथ निवेश, वैश्विक सर्वश्रेष्ठ व्यवहार, बेहतरीन प्रबंधक, प्रबंधन में बदलाव और आधुनिकीकरण लाता है। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक उपक्रमों की हिस्सेदारी बिक्री से जो पैसा आएगा उसका इस्तेमाल जन कल्याण योजनाओं मसलन जल और साफ-सफाई, शिक्षा और स्वास्थ्य पर किया जाएगा।

सरकार का ध्यान विकास पर
प्रधानमंत्री ने कहा कि विनिवेश की प्रक्रिया को तेज करने के लिए सचिवों का अधिकार प्राप्त समूह निवेशकों के मुद्दों को सुलझाने का काम करेगा। उन्होंने कहा कि सरकार को विकास पर ध्यान देना है और सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम जब भी कारोबार करते हैं, तो घाटा होता है। उन्होंने कहा कि कई सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम घाटे में हैं, कइयों को करदाताओं के पैसे से मदद दी जा रही है। इस पैसे का इस्तेमाल कल्याण योजनाओं में किया जा सकता है।