मोहम्मद आरिफ नगरामी

उत्तर प्रदेश असेम्बली की 403 सीटों के लिये सात मराहिल में होने वाले इन्तेखाबात में से चार मरहलों की पोििलंग हो चुकी है। बकिया तीन मरहलों की पोलिंग 27 फरवरी, 3 मार्च और 7 मार्च को होगी। अब दस मार्च को नताएज का एलान होगा, जब मालूम होगा कि इस बार किस पार्टी की हुकूमत बनती है।

4 मरहलों की वोटिंग के बाद बीजेपी ओर समजवादी पार्टी इस बात का दावा कर र ही है कि 4 मरहलों में ही उनको हुकूमत तशकील देने भर की सीटें हासिल हो गयी हैं। गोदी मीडिया के टीवी चैनल तो चीख चीख कर दावा कर रहे हैं कि बीजेपी, को दोबारा प्रचंड बहुमत मिल चुका है लेकिन अगर हवा का रूख देखा जाये और ईमानदार और हकीकत पसंद सहाफियों और तजजियानिगारों की निपोर्टस को गौर से पढा जाये तो गोदी मीडिया के टीवी चैनल के दावे बिल्कुल गलत और बेबुनियाद दिखाइ्र पडते हैं। वाजेह रहे कि जिस मआशरे और मुल्क मेें सहाफियों और कलमकारों के कलम बिकाउ हो जाते है, तो उस मुल्क का हुक्मरां मुतलकुल अनान और डिक्टेटर हो जाता है। हमारे मुल्क में यही हो रहा है कि बडे बडे टीवी चैनल्स को, सहाफियों को, कलमकारों को, खिताबत के माहिरीन को, चंद सिक्कों के इवज खरीद लिया गया है और वह हकीकत से हट कर वहीं बात कह रहे है और लिख रहे हैं जो उनसे उनके मालिक कह रहे हैं।

उत्तर प्रदेश में चार मरहलों की जबर्दस्त पोलिंग के बाद एक तरफ जहां हुक्मरां बीजेपी में बेचैनी और तश्वीश का माहौल है, तो दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी और उसके इत्तेहादियेां का खेमा मुतमईन और पुरसुकून है क्योंकि गुजिश्ता रोज चौथे मरहले की वोटिंग के बाद बीजेपी के खेमों में खतरे की घंटी बजने लगी है और इससे यह तशवीश लाहक हो गयी है, इसकी मौजूदा निस्फ सीटों तक हाथ से न निकल जायें। उधर मुखलिफ खेमा समाजवादी पार्टी में इस बात से सुकून है कि मगरिब से उसके हक में चली फिजा अवध के खित्ते को भी अपने हिसार में ले रही है । पार्टी केा इस बात से राहत है कि वह इस मरहले में भी बीजेपी की वाहिद मुतबादिल के तौर पर उतरी है।

जहां तक राजधानी लखनऊ का सवाल है, केयासआराईयों को अगर मानें तो लखनऊ में बीजेपी को 4 सीटों का नुकसान हो सकता है। कैंट को छोड कर जहां से रियासती वजीर बृजेश पाठक इन्तेखाबी मैदान में है, बीजेपी की कोर्इ्र भी सीट महफूज नहंी लग रही है। इस बार लखनऊ के राय देहन्दगान ने बहुत ही अकलमंदी का सुबूत देते हुये कई मुस्लिम उम्मीदवारेां में से इसी को वोट दिया है जिसको तब्दीली के लिये वोट देना चाहते थे।

अयोध्या वह तारीखी मकाम है जिसको भगवान राम का जन्म स्थान माना जाता है। वहां की पांच असेम्बली सीटों पर 46 उम्मीदवार इन्तेखाबी मैदान में हैं। जिला अयोध्या में तीन मार्च को एलेक्शन होगा, पूरे जिले में 18,65,305 वोटर्स अपने हक्के राय देही का इस्तेमाल करेंगेें। इस जिले में बीजेपी और समाजवादी पार्टी में बराहे रास्त मुकाबला होगा। आम आदमी पार्टी ने भी इस मरतबा पांच सीटों पर अपने उम्मीदवार खडे किये है। पांच में से दो असेम्बली हल्कों में इस मरतबा मुकाबला दिलचस्प होगा। यह हल्के अयोध्या,सदर,गोसाईंगंज है। 2017 के इन्तेखाबात की तरह इस मरतबा में भी अयोध्या सदर हल्के में बीजेपी ओर समाजवादी पार्टी के दरीमियान सख्त मुकाबला है। इस हल्के में बीजेपी के उम्मीदवार, वेद प्रकाश गुप्ता अपनी सीट बचाने के लिये एलेक्शन लड रहे हैं, जब कि साबिक रियासती वजीर तेज नरायण पाण्डे, समाजवादी र्पाअी के उम्मीदवार हैं। हालात का रूख और तब्दीली की हवा को देखते हुये मरकजी वजीरे दाखला अमित शाह ने बीएसपी के सरबराह की तारीफ करते हुये कहा है कि मायावती को मुसलमान वोट देंगें, इस पर मायावती ने उनका शुक्रिया अदा करते हुये कहा है कि सिर्फ मुसलमान ही नहीं बल्कि समाज के हर तब्के के अफराद, बीएसपी को वोट देंगेें। वाजेह रहे कि बीएसपी की सरबराह, मायावती ने कुछ दिनों कब्ल अपने एक बयान में कहा था कि अगर जरूरत पडी तो वह बीजेपी को अपना तअव्वुन देंगी। अब जब कि चार मरहलों की वोटिंग के बाद बीजेपी के आला रहनुमाओं को हालात साजगार नजर नहंीं आ रहे हैं, तो उन्होंने बीएसपी जैसी पार्टियों को अपना हमनवा बनाना शुरू कर दिया है ताकि वक्त पडने पर उनकी मदद ली जा सके।

मेरे ख्याल में यह पहला मौका है कि एलेक्शन से पहले बीजेपी का जहाज डूबते हुये देख कर बीजेपी के बडे बडे और अहेम लीडरों ने दूसरी पार्टियों में पनाह ले ली जिसमें सब से अहेम लीडर का नाम स्वामी प्रसाद मौर्या है, जिन्होंने बीजेपी को छोड कर समाजवादी पार्टी का दामन थामा है। पार्टी ने स्वामी प्रसाद मौर्या को कुशीनगर की फाजिल नगर सीट से अपना उम्मीदवार बनाया है जहां उनको सहरूखी मुकाबले का सामना करना पड रहा है। फाजिलनगर असेम्बली सीट पर जात पात की सफबंदी के मुताबिक सबसे ज्यादा वोटरों की तादाद अकलियतों की है। इसके बाद बरहमन और फिर कुर्मी वोटर हैं, बीजेपी ने स्वामी प्रसाद मायर्श के सामने बीजेपी ने इस सीट से लगातार दो बार एमएलए रहे, गंगा सिंह कुशुवाहा के बेटे, सुरेन्द्र कुंशुवाहा को उम्मीदवार बनाया है। जब कि बीएसपी ने समाजवादी पार्टी के कद्दे आवर रहनुमा रहे, इलियास अन्सारी को अपने साथ शामिल करके उनहें इन्तेखाबी मैदान में उतारा है। सियासी माहिरीन बताते है कि फाजिल नगर का एलेक्शन बीजेपी की नाक का सवाल है, वाजेह रहे कि स्वामी प्रसाद मौर्या बीजेपी हुकूमत में वजीरे थे, ओर दर्जनों लीडरों के साथ बीजेपी पर संगीन इल्जामात लगाते हुये पार्टी छोड कर समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया था। फाजिल नगर में स्वामी प्रसाद मौर्या को घेरने और शिकस्त देने के लिये बीजेपी की आला केयादत ने खास हिकतते अमली वेजा की है जिसके तहेत पार्टी के स्टार प्रचारक, बडी तादाद में फाजिल नगर पहुंच कर उनके खिलाफ प्रयार कर रहे हैं, तो बीएसपी के उम्मीदवार इलियास अन्सारी जिनकी समाज के हर तब्के में अच्छी ग्रिप है, वह भी स्वामी प्रयासद मौर्या के लिये एक मसला बन चुके है। खबरों के मुताबिक फाजिल नगर में इस वक्त मुस्लिम समाज के लोग दो खेमों में नजर आ रहे है। एक एसपी के उम्मीदवार मौर्या को जिताना चाहते है तो दूसरा खेमा इलियास अन्सारी केा फतेहयाब देखना चाहता है। इस सीट पर मुकाबला फिलहाल सहरूखी है, अगर बीएसपी ने एलेक्शन संजीदगी से लडा तो नताएज हैरानकुन हो सकते है।