लखनऊ: भाकपा (माले) की राज्य इकाई ने कहा है कि कोरोना की दूसरी लहर में केंद्र की मोदी सरकार ने देशवासियों को उनके हाल पर छोड़ दिया है और मेडिकल सुविधाओं के अभाव में जिस बड़े पैमाने पर मौतें हो रही हैं वह नरसंहार से कम नहीं है। इसके लिए सरकार जिम्मेदार है।

पार्टी के राज्य सचिव सुधाकर यादव ने शनिवार को जारी बयान में कहा कि उत्तर प्रदेश की हालत और भी बुरी है। यहां कोविड मरीजों और मौतों के आंकड़ों की बाजीगरी कर मुख्यमंत्री की छवि चमकाने की चापलूसी भरी कोशिश हो रही है। श्मशानों में शवदाह की लाइनों के बाद गंगा में उफनाती लाशें और उन्नाव में नदी किनारे कब्रों के अंबार सरकारी आंकड़ों और दावों की पोल खोलते हैं। लोग अपनों की सम्मानपूर्ण बिदाई तक देने में असमर्थ हैं, जो कि हर मृतक का अधिकार है। कोविड से मौतों पर अंत्येष्टि के लिए पांच हजार रु0 की सहायता की मुख्यमंत्री की घोषणा वैसा ही ढकोसला साबित हुआ है जैसा प्रधानमंत्री का टीका उत्सव। यदि यह सरकारी सहायता अंत्येष्टि के लिए पर्याप्त होती और लोगों को मौके पर मिलती, तो कोई अपने प्रियजन को दिल पर पत्थर रखकर चील-कुत्तों से नोचवाने के लिए इस तरह बिदा नहीं करता।

राज्य सचिव ने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर में जानें बचाने के लिए जरूरी मेडिकल संसाधन – दवा, बेड, ऑक्सीजन, वेंटिलेटर – को उपलब्ध कराने में आपराधिक लापरवाही का परिचय दे चुकी और बड़ी संख्या में हुई मौतों को रोक पाने में विफल रही योगी सरकार अब बड़बोलापन कर रही है कि यूपी कोविड की तीसरी लहर का सामना करने के लिए तैयार है। यह एक और झूठ है।

माले नेता ने कहा कि इसके पहले भी कोविड को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट योगी सरकार के कई झूठ पकड़ चुका है। उदाहरण के लिए, कोरोना मरीजों की भर्ती के मामले में कोविड अस्पतालों में खाली बेडों की सरकारी पोर्टल पर दिखाई गई स्थिति और जमीनी हकीकत का झूठ। गांवों में हो रही मौतों की संख्या और कागज पर दर्शाए गए आंकड़ों का झूठ। कोविड लक्षणों वाले लोगों और मरीजों के गांवों में कम होने का झूठ, क्योंकि ऐसा दिखाने के लिए सरकार ने कोविड जांचों की गति ही घटा दी। इसी तरह, सबको कोविड टीका लगाने की घोषणा कर दी गई है, जबकि इसकी उपलब्धता काफी कम या कई जगहों पर नदारद है। ऐसे में सरकार के किन आंकड़ों पर भरोसा किया जाए?

कामरेड सुधाकर ने कहा कि गांवों की स्थिति भयावह है। एक तो कोरोना को लेकर जागरूकता का अभाव है। ऊपर से पंचायत चुनाव कराने की हठधर्मिता, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की फिसड्डी हालत, नीमहकीमी, बाबा रामदेव वाली ‘कोरोनील’ दवा, गाय के गोबर से कोरोना के उपचार जैसे अवैज्ञानिक और प्रायोजित प्रचारों ने हालत को बदतर बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। सरकार की बदइंतजामी या कोई इंतजाम न होने, ऑक्सीजन जैसी जरूरी चीजों के अभाव और अन्य कमियों को उजागर करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने और उनकी संपत्ति तक जब्त करने की धमकियां दी जा रही हैं।

माले राज्य सचिव ने कहा कि सरकार को फेल होते देख राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) अब ‘सकारात्मकता अभियान’ के साथ बचाव में सामने आया है। यह दरअसल झूठ को सच बनाने यानी डबल झूठ फैलाने का अभियान है। इसमें नागरिकों को सलाह दी जा रही है कि वे सकारात्मक सोच और सिर्फ सकारात्मकता पर ध्यान दें। यानी कोविड की पहली लहर के बाद दूसरी लहर की वैज्ञानिक चेतावनी को नजरअंदाज कर गुजरे साल भर में कोई तैयारी नहीं करने, दम्भपूर्ण तरीके से कोरोना पर विजय पा लेने व भारत को दुनिया के लिए कोरोना का औषधालय घोषित कर देने की मूर्खता करने, कोरोना की जांच नहीं हो रही, समय से जांच की रिपोर्ट नहीं मिल रही, एम्बुलेंस नहीं मिल रही, बेड-जीवन रक्षक दवाएं-ऑक्सीजन गायब है, कालाबाजारी हो रही है, बड़े पैमाने पर मौतें हो रही हैं, हर ओर लूट मची है, अंत्येष्टि के लिए लकड़ी और श्मशानों-कब्रिस्तानों में जगह नहीं है, लॉकडाउन व कर्फ्यू में गरीबों के पास दवा-इलाज तो दूर खाने के लाले हैं और मौजूदा स्थितियों के लिए सरकार ही जिम्मेदार है – इन सब ‘नकारात्मक’ बातों की ओर बिल्कुल ध्यान नहीं देना है। बस सरकार का गुड़गान करने और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में मोदी के नेतृत्व में भारत की भद पीट रही छवि को संवारने की कवायद का ही नाम है आरएसएस का सकारात्मकता अभियान।

माले नेता ने कहा कि खुद सरकार कोरोना से ढाई लाख मौतें स्वीकार कर रही है, जबकि स्वतंत्र पर्यवेक्षक अस्पताल के भीतर व बाहर हुई मौतों, श्मशानों, कब्रों, नदियों में प्रवाहित लाशों, गांव में पीपल के पेड़ों पर टंगी मटकियों आदि संकेतकों को मिलाकर करीब आठ गुणा मौतें बता रहे हैं। जिसका मतलब है करीब बीस लाख मौतें। इतनी बड़ी संख्या में मानव हानियां जनसंहार हैं और इसके लिए और कोई नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार जिम्मेदार है। लिहाजा मोदी सरकार फौरन से पेश्तर इस्तीफा दे।

माले नेता ने कहा कि स्वास्थ आपातकाल के इस दौर में सभी को मिलजुलकर कर इंसानी जिंदगियां बचाने के लिए काम करना होगा और इसके लिए केंद्र में सर्वदलीय राष्ट्रीय सरकार का गठन करना होगा, क्योंकि मौजूदा सरकार कोरोना की चुनौतियों का मुकाबला करने में नकारा साबित हो चुकी है।