कोविड-19 से बचाव के लिए ली जाने वाली कुछ जड़ी-बूटियां और पारंपरिक दवाएं शरीर को गंभीर नुकसान पहुंचा सकती हैं. मुंबई में डॉक्टर्स ने पिछले साल सितंबर से दिसंबर के बीच इनसे होने वाले लिवर डैमेज के करीब छह मामले देखे थे. ऐसे ज्यादातर मरीजों में जॉन्डिस (पीलिया) और लीथर्जी (सुस्ती-थकान से जुड़ा विकार) की समस्या देखी गई.

एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, डॉक्टर्स ने जब इन मरीजों की मेडिकल हिस्ट्री की पड़ताल की तो पता लगा कि ये सभी टिनोस्पोरा कोर्डिफोलिया का सेवन कर रहे थे, जिसे आम भाषा में लोग गिलोय कहते हैं. भारत में गिलोय को लंबे समय से स्वास्थ्य संबंधी फायदों से जोड़कर देखा जाता रहा है.

‘इंडियन नेशनल एसोसिएशन फॉर दि स्टडी ऑफ दि लिवर’ में प्रकाशित एक स्टडी में लिवर स्पेशलिस्ट डॉक्टर आभा नागरल ने बताया कि एक 62 साल की बुजुर्ग महिला को पेट में तकलीफ के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था. करीब चार महीने तक इस विकार से जूझने के बाद उसकी मौत हो गई थी.

डॉ. नागरल ने बताया कि यही वो समय था जब उन्हें बायोप्सी के जरिए लिवर में गिलोय से होने वाली इस घातक इंजरी के बारे में पता लगा था. बता दें कि कोरोना के संकट काल में भी कई बार हेल्थ एक्सपर्ट्स ने गिलोय से इम्यूनिटी बेहतर होने की बात कही थी.

लिवर ट्रांसप्लांट सर्जन डॉक्टर एएस सोइन जिनका इस अध्ययन से कोई कनेक्शन नहीं है, उन्होंने बताया कि गिलोय से लिवर डैमेज होने के वह अब तक पांच मामले देख चुके हैं. लिवर डैमेज के चलते उनके एक मरीज की मौत भी हो गई थी.

डॉक्टर एएस सोइन ने बताया कि महामारी के दौरान लोग इम्यूनिटी बूस्ट करने के लिए किसी ऑक्सीडेंट के रूप में गिलोय का इस्तेमाल कर रहे थे. उन्होंने बताया कि दुर्भाग्यवश इसके कारण बहुत से लोगों ने लिवर टॉक्सिटी का सामना किया है. गिलोय का सेवन बंद करने के कुछ महीनों बाद ही मरीजों की रिकवरी हो गई थी.