लखनऊ: केंद्र सरकार ने लॉकडाउन बढ़ाते ये भरोसा दिया था की मजदूरों को सोशल डिस्टेंसिंग के साथ निशुल्क घर वापस पहुचायेगी। टिकट का पैसा राज्य सरकार अदा करेंगी। लेकिन केंद्र सरकार में एक बार फिर से मजदूरों को छला है। अब मजदूरों से पूरा पैसा वसूला जा रहा है यही नहीं टिकट से भी ज्यादा दाम वसूले जा रहे हैं। मजदूर अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं।जिसके पास दो वक्त की रोटी नही, उन्हें लूट रही है मोदी सरकार।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने आगे कहा कि लॉकडाउन में उत्तर प्रदेश के करीब 10 लाख लोग दूसरे राज्यों में फंसे हुए हैं। वर्तमान योगी सरकार ने मजदूरों की मदद के लिए कई नोडल अधिकारियों की नंबर जारी किये है जिससे मजदूर उन नंबरों पर कॉल कर सके और सहायता प्राप्त करे। लेकिन फोन करने पर पता चलता है ये नंबर अस्तित्व में ही नहीं है। नोडल अधिकारियों के एक भी नंबर पर कॉल नहीं लगा। या तो कॉल फॉरवर्ड हो रहे हैं या नंबर व्यस्त बताया जा रहा है।

सरकार ने कोटा में फंसे छात्रों को सुरक्षित ले आयी है, जिसका हमने स्वागत भी किया। उनके लिए बसंे लगवाई, लेकिन जब मजदूरों की बात आई तो उनके साथ बुरा बर्ताव हो रहा है। उन्हें सरकार के द्वारा ना तो सहायता मिल रही है और ना ही उनका दर्द बांटा जा रहा है। मजदूरों के साथ वर्ग-भेद क्यों?

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और पूरा प्रशासनिक अमला दिन रात मीडिया को दिखावा करता है कि बहुत मेहनत कर रहे हैं जबकि सच्चाई इसके उलट है। खुद मुख्यमंत्री मीडिया में अपील करते है कि मजदूर पैदल ना चले, लेकिन हकीकत भयानक है। प्रदेश के प्रवासी मजदूरों पर बड़ा संकट आया है। लॉकडाउन के चलते उन्हें ना तो कहीं रोजगार मिल रहा है और जो पैसे थे वह भी खत्म हो गया, दाने-दाने को मोहताज है। सरकार की तरफ से जो मजदूरों को लाने की व्यवस्था की गयी वह भी सुचारू ढंग से नहीं चल पा रही हैं। मजदूर पैदल ही अपने घर की तरफ चल रहे है। भूख प्यास और थकान के चलते अभी तक देश में 300 से ज्यादा मजदूरों की सड़कों पर मौत हो चुकी है।