• केन्द्रीय श्रमिक महासंघों को लिखा पत्र, 17 को होगी वर्चुअल बैठक

लखनऊ: केन्द्र सरकार द्वारा देशी विदेशी कारपोरेट हितों के लिए श्रम कानूनों को खत्म करके लाए चार लेबर कोड में काम के घंटे बारह करने के लिए खिलाफ वर्कर्स फ्रंट अन्य सहमना संगठनों के साथ मिलकर अभियान चलायेगा। इस अभियान के सम्बंध में 17 दिसम्बर को वर्चुअल बैठक की जायेगी। इस बैठक के लिए आज सीटू, एटक, एचएमएस, एआईसीसीटीयू और यूटीयूसी के केन्द्रीय नेतृत्व को वर्कर्स फ्रंट की तरफ से पत्र भेजकर इस अभियान में शामिल होने की अपील की गई है। इसके अलावा छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, बिहार, दिल्ली, मध्यप्रदेश, झारखण्ड़ व उडीसा में असंगठित मजदूरों में कार्यरत यूनियनों के नेताओं को भी बैठक में आमंत्रित किया गया है। यह जानकारी प्रेस को जारी को अपनी विज्ञप्ति में वर्कर्स फ्रंट के अध्यक्ष दिनकर कपूर ने दी।

उन्होंने बताया कि मोदी सरकार ने डेढ़ सौ साल पहले शिकागो के संघर्ष से हासिल काम के आठ घंटे को लेबर कोड और उसकी नियमावली में बदलकर बारह कर दिया है। सरकार ने यह निर्णय तब लिया है जब हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार के इस फैसले को रद्द कर दिया था और उत्तर प्रदेश में भी हाईकोर्ट द्वारा वर्कर्स फ्रंट की जनहित याचिका में की गई जबाब तलबी के बाद सरकार को अपना फैसला वापस लेना पड़ा था। यहीं नहीं आईएलओ ने भी इस पर भारत सरकार को चेताते हुए कहा था कि यह आईएलओ का पहला कन्वेंशन है जिसे दुनिया के किसी देश को बदलना नहीं चाहिए। बावजूद इसके सरकार कारपोरेट हितों के लिए भारत के मजदूरों के मध्ययुगीन शोषण का रास्ता बना रही है। इस फैसले से देश में करीब 33 प्रतिशत कार्यरत मजदूर रोजगार से वंचित हो जायेंगे। ये पहले से भयावह बेरोजगारी को और भी बढाने का काम करेगा। इसलिए मजदूरों के जीवन मरण के इस सवाल पर व्यापक संवाद स्थापित करते हुए इसे वापस कराने के लिए आंदोलन चलाया जायेगा।