मध्य प्रदेश में एक बार फिर बीजेपी की सरकार बनती दिख रही है. बीजेपी करीब 166 सीटों पर आगे चल रही है, तो वहीं कांग्रेस 62 सीटों पर आगे चल रही है, फिलहाल जो रुझान हैं, वो अगर नतीजों में तब्दील हुए तो एक बार फिर मध्य प्रदेश में बीजेपी का राज होगा. बीजेपी 2003 से लगातार सत्ता पर काबिज रही है, 2018 में जरूर कांग्रेस की वापसी हुई थी, लेकिन 2 साल के अंदर ही ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत के बाद उसके हाथ से सत्ता फिसल गई और एक बार फिर यहां बीजेपी की वापसी हुई और शिवराज सिंह की दोबारा ताजपोशी हुई. 2023 के चुनाव में भी बीजेपी एक बार जीत की ओर बढ़ रही है. मध्यप्रदेश में बीजेपी की शानदार जीत के क्या कारण हैं- पीएम मोदी का चेहरा या शिवराज की योजना बीजेपी की जीत की क्या वजह रही?

सीएम शिवराज सिंह की लाड़ली बहना योजना ने चुनाव में उनकी जीत के लिए बड़ी भूमिका निभाई. शिवराज सिंह ने चुनाव प्रचार के दौरान लाडली बहन योजना के तहत सरकार ने प्रदेश की करीब एक करोड़ 31 लाख महिलाओं के अकाउंट में 1250 रुपये की दो किश्तें डालीं. इसका पूरा फायदा बीजेपी को मिला. महिलाओं ने बीजेपी को बढ़ चढ़कर वोट डाले, इस बार चुनाव में महिलाओं ने करीब 34 विधानसभा सीटों पर पुरुषों के मुकाबले ज्यादा वोट डाले, जिसका बीजेपी को साफ फायदा मिलता दिख रहा है. यही नहीं खुद पीएम मोदी अपनी कई चुनावी सभाओं में लाडली बहन योजना का जिक्र करते हुए नजर आए.

मध्य प्रदेश के चुनाव में भी बीजेपी ने हिंदुत्व कार्ड खेला, गृहमंत्री अमित शाह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और खुद सीएम शिवराज सिंह चौहान ने हर रैली में राम मंदिर का जिक्र किया. यहां तक कि बीजेपी ने मध्य प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों पर एक भी मुस्लिम कैडिंडेट को टिकट नहीं दिया.

मध्य प्रदेश में एक बार फिर बीजेपी की वापसी के पीछे पार्टी की सोशल इंजीनियरिंग का भी पूरा योगदान है. राज्य में दलित, आदिवासी, ओबीसी, सामान्य और अन्य जातियों ने कांग्रेस की तुलना में बीजेपी को ज्यादा वोट किया. कांग्रेस सामान्य और ओबीसी वोट की लड़ाई में बीजेपी से काफी पीछे रह गई. जिसका खामियाजा उन्हें हार से चुकाना पड़ रहा है.

मध्य प्रदेश में पीएम मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ा गया, पीएम मोदी ने राज्य में करीब 14 रैलियां की. पीएम मोदी ने हर रैली में सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का जिक्र किया और अपने काम पर वोट मांगा. वहीं गृहमंत्री अमित शाह ने चुनाव के लिए जो रणनीति बनाई. उसमें वो सफल साबित हुए. अमित शाह ने खुद चुनावी रणनीति की कमान संभाली, कांग्रेस की मजबूत सीटों पर बूथ प्रबंधन किया. नाराज नेताओं को मनाया, जिसका फायदा चुनाव में मिला.

बीजेपी ने जब विधायक के चुनाव के लिए अपने सांसदों को मैदान में उतारा, तो यही सवाल उठे कि आखिर बीजेपी ऐसा फैसला क्यों ले रही है. लेकिन बीजेपी का ये दांव काम चल गया. नरेंद्र सिंह तोमर, फग्गन सिंह कुलस्ते, प्रहलाद पटेल जैसे नेताओं को मैदान में उतारना बीजेपी के लिए मास्टर स्ट्रोक साबित हुआ.