चार राज्यों के विधानसभा चुनाव नतीजे लगभग साफ हो चुके हैं. मध्य प्रदेश में जहां बीजेपी प्रचंड बहुमत की ओर है, वहीं राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी कमल खिलने का साफ संकेत है. राजस्थान में रिवाज नहीं बदलने से अशोक गहलोत की छुट्टी तय है, जबकि छत्तीसगढ़ में बघेल एंड कंपनी पर ताला लटकने जा रहा है. इतने बड़े झटके के बीच कांग्रेस के लिए राहत भरी खबर दक्षिण के राज्य तेलंगाना से आई है, जहां उसे प्रचंड बहुमत मिला है. लोकसभा चुनाव के लिहाज से देखें तो ये कांग्रेस के लिए बेहद अहम जीत है. सीधे और साफ शब्दों में कहें तो तेलंगाना की जीत जादू से कम नहीं है.

इस जीत से दक्षिण में एक और द्वार कांग्रेस के लिए खुल गया है. कहा जा रहा है कि तेलंगाना फतह से आंध्र प्रदेश में भी कांग्रेस बढ़त ले लेगी क्योंकि जगन मोहन रेड्डी और चन्द्रबाबू नायडू की हालत पतली है. बीजेपी के हाथ से भले आंध्र चला जाए, लेकिन केंद्र के सियासी गणित से बीजेपी छेड़छाड़ नहीं करेगी. ऐसे में आंध्र में बीजेपी जगन रेड्डी के मामले में बैकफुट पर ही रहना पसंद करेगी. इस तरह कांग्रेस दक्षिण में बेहद मजबूत हो जाएगी. कर्नाटक, तेलंगाना, तमिलनाडु, केरल, आंद्र प्रदेश में एक से दो पोजीशन पर ही होगी.

तेलंगाना में कांग्रेस की स्ट्रैटजी को राजनीतिक जानकार भी सराह रहे थे. कांग्रेस का फोकस वेलफेयर मॉडल और डेवलपमेंट मॉडल’ पर रहा और चुनावी कैंपन में इसी पर फोकस किया. कांग्रेस ने वादा किया है कि वो हर बेरोजगार युवा को चार हजार रुपये हर महीना, महिलाओं को ढाई हजार रुपये, बुज़ुर्गों के लिए चार हजार रुपये पेंशन और किसानों को 15 हजार रुपये देगी. इसके अलावा कांग्रेस के चुनाव प्रचार के दौरान केसीआर के कथित भ्रष्टाचार का मामला उठाया जाता रहा. साथ ही ये कहा जाता रहा कि उनकी बीजेपी के साथ सांठ-गांठ है. ये सारे दांव कांग्रेस के पक्ष में और बीआरएस को हार का सामना करना पड़ा.

तेलंगाना में RRR मैजिक चला है. RRR मैजिक मतबल राहुल गांधी और रेवंत रेड्डी से है. चुनावी कैंपेन के दौरान राहुल गांधी ने तेलंगाना में करीब 26 रैलियां की थीं. प्रियंका गांधी ने भी यहां पूरा जोर लगाया हुआ था. पार्टी के बड़े दिग्गज के तौर पर जहां राहुल-प्रियंका ने मोर्चा संभाला था, वहीं जमीन पर रेवंत रेड्डी लगे हुए थे. रेवंत रेड्डी दो सीटों कोडांगल और कामारेड्डी से चुनाव लड़ रहे हैं. कोडांगल उनकी पारंपरिक सीट रही है जबकि कामारेड्डी में उनका मुक़ाबला सीधे मुख्यमंत्री केसीआर से है.

रेवंत रेड्डी ने राजनीति की शुरुआत अपने छात्र जीवन से ही कर दी थी. उस्मानिया यूनिवर्सिटी से ग्रैजुएशन करने वाले रेड्डी उस समय ABVP से जुड़े हुए थे. बाद में वो चंद्रबाबू नायडू की तेलुगू देशम पार्टी (TDP) में शामिल हो गए. टीडीपी के कैंडिडेट के तौर पर उन्होंने साल 2009 में आंध्र प्रदेश की कोडांगल विधानसभा सीट से चुनाव जीता था. साल 2014 में वो तेलंगाना विधानसभा में टीडीपी के सदन के नेता चुने गए. साल 2017 में वो कांग्रेस में शामिल हो गए. हालांकि कांग्रेस में जाना उनके लिए अच्छा नहीं रहा क्योंकि 2018 के तेलंगाना विधानसभा चुनाव में हार गए. बता दें कि केसीआर ने चुनाव से एक साल पहले विधानसभा भंग करके पहले ही चुनाव करवा दिया था. विधानसभा चुनाव हारने के बाद कांग्रेस ने उन्हें 2019 के लोकसभा चुनाव में मलकाजगिरि से टिकट दिया जिसमें उन्होंने महद 10 हजार के करीब वोट मिले थे. साल 2021 में कांग्रेस ने उन्हें बड़ी जिम्मेदारी देते हुए प्रदेश अध्यक्ष चुना और 2023 में उन्होंने कमाल कर दिया.

2024 लोकसभा चुनाव के लिहाज से तेलंगाना कांग्रेस के लिए बेहद अहम राज्य है. एक तरफ दक्षिण में जहां बीजेपी का कद बढ़ा है, वहीं दूसरी तरफ देश की तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था वाला राज्य भी उसके पास आ गया है. तेलंगाना देश की तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्थाओं में से एक है. बीते 5 सालों में इसका एवरेज ग्रोथ रेट 13.90 फीसदी के करीब रहा है. वहीं कैपिटा इनकम की बात करें तो यहां की प्रति व्यक्ति आय 3.18 लाख रुपये के करीब है. जीडीपी की बात करें तो देश की कुल जीडीपी में तेलंगाना का रैंक 9वां है. तेलंगाना की इकोनॉमी में सबसे बड़ा योगदान सर्विस सेक्टर का है. यह आंकड़ा 33 फीसदी से ज्यादा है. वहीं, एग्रीकल्चर सेक्टर में कुल जीडीपी में 21 फीसदी का योगदान देता है. तेलंगाना की जीडीपी करीब 14 लाख करोड़ रुपए अनुमानित है.